लंदन/नई दिल्ली ,11सितम्बर। लंदन स्थित वेस्टमिंस्टर एबे में 19 सितंबर को दिन में 11 बजे महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का अंतिम संस्कार होगा। इस दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन समेत विश्व के बहुत से नेता दिवंगत महारानी को अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद रहेंगे। इससे पहले रविवार को महारानी का पार्थिव शरीर स्काटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग स्थित पैलेस आफ होलीरुड हाउस ले जाया जाएगा। स्काटलैंड में यह ब्रिटेन के शासक का आधिकारिक आवास है। यहां से 15 सितंबर को ताबूत लंदन ले जाया जाएगा, जहां महारानी का अंतिम संस्कार होगा।
लंदन में महारानी का पार्थिव शरीर चार दिन तक वेस्टमिंस्टर हाल में रखा जाएगा, जहां पर सामान्य जन उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे। 19 सितंबर को प्रात: ताबूत को वेस्टमिंस्टर एबे ले जाया जाएगा जहां पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू होगी। यहां पर विश्व भर से आए नेता और गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे। प्रार्थना और श्रद्धांजलि के बाद दिवंगत महारानी का ताबूत तोपगाड़ी पर रखा जाएगा। उसके बाद शवयात्रा शुरू होगी। यह यात्रा विंडसर कैसल में सेंट जार्ज चैपल जाकर पूरी होगी। वहीं पर स्वर्गीय पति प्रिंस फिलिप के बगल में दिवंगत महारानी को दफनाया जाएगा।
दिवंगत महारानी के अंतिम संस्कार की तारीख की सूचना देकर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विश्व भर के नेताओं से अनुरोध किया गया है। किंग चार्ल्स तृतीय ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार के दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया है। ब्रिटेन के लोगों के लिए इस वर्ष यह दूसरा अतिरिक्त अवकाश होगा। इससे पहले महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की सत्ता के 70 साल पूरे होने पर जून में लोगों को अतिरिक्त अवकाश दिया गया था। जिस वेस्टमिस्टर एबे में महारानी का अंतिम संस्कार होगा, उसी के गिरजाघर में 1947 में प्रिंसेस रहीं एलिजाबेथ की प्रिंस फिलिप के साथ शादी हुई थी। उस समय नव विवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए लाखों लोग आए थे।
पीएम ट्रस और मंत्रियों ने ली किंग के वफादार रहने की शपथ
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने शनिवार को किंग चार्ल्स तृतीय के प्रति वफादार रहने की शपथ ली। हाउस आफ कामंस में सबसे पहले स्पीकर लिडसे होयले ने किंग चार्ल्स और उनके उत्तराधिकारियों के प्रति वफादार रहने की शपथ ली। उनके बाद प्रधानमंत्री, मंत्रियों और वरिष्ठ सांसदों ने यह शपथ ली। राज सिंहासन के प्रति वफादार रहने की शपथ कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में सभी 650 सांसद वफादारी की शपथ लेने की कोशिश करेंगे। इससे पहले इस तरह की शपथ महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के प्रति वफादारी के लिए ली गई थी।
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