नई दिल्ली,11सितम्बर । दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की 1,000 लो फ्लोर बसों की खरीद में कथित भ्रष्टाचार की हो रही सीबीआइ जांच में अब एक और शिकायत जुड़ने जा रही है। इससे संबंधित मामले में आई एक और शिकायत को सीबीआई के पास भेजने की सिफारिश को उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मंजूरी दे दी है।यह शिकायत जून में एलजी सचिवालय को भेजी गई थी, जिसकी मुख्य सचिव द्वारा जांच की गई है और जांच में सही पाए जाने पर अब इसे भी सीबीआई के पास भेज दिया गया है।
अधिकारियों ने कहा कि एलजी सचिवालय को जून 2022 में एक शिकायत मिली थी जिसमें दिल्ली परिवहन मंत्री द्वारा डीटीसी बोर्ड का चेयरमैन भी बन जाने के मामले में नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था, शिकायत में यह भी कहा गया था कि बसों की निविदा और खरीद के लिए गलत काम को सुविधाजनक बनाने के लिए बोली प्रबंधन सलाहकार के रूप में डीआईएमटीएस (डिम्ट्स) की नियुक्ति की गई थी।
जुलाई 2019 में 1,000 लो फ्लोर बीएस-IV और बीएस-VI बसों की खरीद और मार्च 2020 में लो फ्लोर बीएस-VI बसों की खरीद और वार्षिक रखरखाव अनुबंध के लिए बोलियों में अनियमितता मिली थी। सूत्रों ने पुष्टि की कि यह निविदा बाद में रद कर दी गई थी और डीटीसी ने अभी तक अपने बेड़े को बढ़ाने के लिए 1,000 लो फ्लोर बसों की खरीद नहीं की है।अधिकारी ने कहा कि मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में निविदा प्रक्रिया में गंभीर विसंगतियों, केंद्रीय सतर्कता आयोग के दिशानिर्देशों और सामान्य वित्तीय नियमों के स्पष्ट उल्लंघन का उल्लेख गया है।
उल्लंघनों का समर्थन करने के लिए सलाहकार के रूप में डीआईएमटीएस काे जानबूझकर सलाहकार बनाया गया।अधिकारी ने कहा कि डीटीसी के एक उपायुक्त की एक रिपोर्ट में समान विसंगतियों को स्पष्ट रूप से सामने लाया गया था।उसे भी डीटीसी और दिल्ली सरकार ने नजरंदाज कर दिया। सूत्रों ने कहा कि मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि डीटीसी ने 1,000 बीएस-VI नवीनतम बसों की खरीद के लिए एक ही टेंडर जारी किया था।मगर बसें खरीदने के लिए सरकार की कंपनियों के साथ हुई प्री-बिड मीटिंग के बाद यह सहमति बनी कि 400 बीएस-IV और 600 बीएस-VI बसें खरीदी जाएंगी।
जबकि एक कंपनी ने केवल बीएस-VI बसों के लिए बोली लगाई, दूसरी कंपनी ने दोनों वेरिएंट के लिए बोली लगाई, मगर इस कंपनी की दरें अधिक थीं।एेसी स्थिति में बोली को रद कर दिया जाना चाहिए था क्योंकि 1,000 बसों के लिए एक ही बोलीदाता था, मगर बोली सलाहकार (डीआईएमटीएस) और डीटीसी की निविदा समिति ने वित्तीय बोलियों का सही मूल्यांकन नहीं किया और पहली कंपनी को बीएस-VI बसों की आपूर्ति के लिए योग्य घोषित किया।
इतना ही नहीं डीटीसी ने पहली कंपनी द्वारा दी गई दरों के आधार पर बीएस-IV बसों की आपूर्ति के लिए दूसरी कंपनी के साथ भी बातचीत की, जिसने वास्तव में उस संस्करण के लिए कभी बोली नहीं लगाई थी।डीटीसी की यह कार्रवाई बिना किसी औचित्य के थी और दूसरी कंपनी के साथ कीमत की बातचीत की जो सीवीसी दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।
सूत्रों ने कहा कि जून 2021 में बसों की खरीद में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों को देखने के लिए सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी ओपी अग्रवाल की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति ने आप सरकार को पूरी निविदा और खरीद प्रक्रिया में प्रक्रियात्मक गड़बड़ी के लिए भी दोषी ठहराया था।सूत्रों ने कहा है कि इस निविदा प्रक्रिया में लोक सेवकों द्वारा आपराधिक कदाचार का पता जांच एजेंसी द्वारा लगाया जाएगा।इस मामले में आप सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं हुई है।
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