बिलासपुर, 9 सितंबर । “किसी की बातें सुन लेना, उनका हाल चाल पूछना,
और यह कहना कि मै आपके साथ हूँ, मैं समझ सकता हूं, जो जीवन की उलझनों
में स्वयं को फँसा हुआ महसूस कर रहे हैं उनके लिए यह चमत्कारिक शब्द हो
सकते हैँ। ऐसे तनाव और अवसादग्रस्त लोगों के लिए सकारात्मता भरे
छोटे-छोटे प्रयास उनके जीवन को खुशियों से भर सकते हैं।“ यह कहना है
सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार के रूप में सक्रिय, राष्ट्रीय मानसिक
व स्नायु विज्ञान संस्थान,नीमहांस, बंगलुरु से प्रशिक्षण प्राप्त मास्टर
ट्रेनर डॉ. सुजाता पांडेय का।डॉ. सुजाता कहती हैं: “आत्महत्या अचानक से हुई घटना नहीं है बल्कि
सुनियोजित घटना है, जो कोई भी व्यक्ति अंतिम विकल्प के रूप में अपना लेता
है। मगर व्यक्ति पहले इसकी तैयारी करता है, जैसे- अपनी कीमती चीजें
परिजनों में बाटना, अपनी जिम्मेदारीयाँ पूरी करने की बात करना, कहीं दूर
जाने की बात करना आदि। ऐसे व्यक्तियों की पहचान कर, उनसे बातचीत कर, उनकी
समस्याओं को जानकर हम उनके मन में उपजी आत्महत्या जैसे विचारों को दूर कर
सकते हैं। साथ ही उनको जीवन जीने के लिए प्रेरित भी कर सकते हैं।“ सुसाइड
कांट्रैक्ट के जरिए आत्महत्या नहीं करने की सीख देने वाली डॉ. सुजाता ने
लगभग 400 से अधिक लोगों को आत्महत्या करने से रोका है। फिलहाल डॉ. सुजाता
जपाईगो संस्थान में कार्यक्रम अधिकारी के रूप में बिलासपुर संभाग में
कार्यरत हैं। बावजूद इसके अपने संपर्क में आने वाले मानसिक समस्याओं,
तनाव एवं अवसाद से ग्रसित लोगों को चिकित्सकीय परामर्श प्रदान कर रही
हैं।रोकी जा सकती है आत्महत्या- बलौदाबाजार की 34 वर्षीय सुरभि ( परिवर्तित
नाम) ने कुछ समय पूर्व ही नदी में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की।
उसके पति की किसी अन्य महिला से संबंध होने की वजह से सुरभि ने यह कदम
उठाया था। यह बात वह किसी अन्य को नहीं बता सकती थी। इसलिए डॉ. सुजाता
सुरभि से लगातार संपर्क में रहीं ताकि वह खुद को अकेला ना समझे। लगातार
उससे बातचीत करती रहीं और साथ-साथ में उपचार भी उसका चलता रहा। लगातार
बातचीत से सुरभि सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित हुई।
इसी तरह सोनी (परिवर्तित नाम) नाम की महिला थाने में अपने ससुराल वालों
द्वारा उसे परेशान किए जाने की शिकायत और पुलिस से मदद की गुहार लेकर आई।
जब महिला से पूछताछ की गई तो पता चला कि महिला का पति समेत उसके परिवार
के लोग मानसिक रोगी हैं। महिला की मनःस्थिति पुलिसवालों से मिलने पर उससे
बातचीत की गई। यदि सोनी को उस समय मदद नहीं मिलती तो वह जीवन खत्म करने
जैसा कदम उठा सकती थी।सुजाता कहती हैं: “जो व्यक्ति आत्महत्या करने की सोचता है या इसके लिए
प्रयास करता है, उसकी समस्याओं को सुनना चाहिए तभी उसकी मानसिक स्थिति को
स्वस्थ्य किया जा सकता है।“अन्तर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा 2003 से मनाया जाने लगा यह दिवस- डॉ.सुजाता
ने बताया: “आत्महत्या जनस्वास्थ्य के लिए एक चिंता का विषय है जो परोक्ष
व अपरोक्ष रूप से समाज के हर वर्ग को प्रभावित करता है। अन्तर्राष्ट्रीय
आत्महत्या रोकथाम संगठन (आईएएसपी) द्वारा 2003 से सितम्बर माह को
आत्महत्या रोकथाम हेतु जागरूकता माह व 10 सितम्बर को आत्महत्या रोकथाम
दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस वर्ष की थीम “क्रिएटिंग होप थ्रू
एक्शन” है जिसका मुख्य उदेश्य आत्महत्या से जुड़े सामाजिक स्टीगमा को कम
करना, सरकार और जनता के बीच जागरूकता बढ़ाना व आत्महत्या को रोका जा सकता
है यह संदेश देना है।“ उनका कहना है: “नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के
अनुसार 2021 में आत्महत्या में सर्वाधिक वृद्धि हुई है, जिसके प्रमुख
कारणों में घरेलु हिंसा व नशा है।“
कर सकते हैं मदद- अवसाद और तनावग्रस्त लोगों की मनोदशा को समझकर, एक
दूसरे से खुलकर बात कर, परिवार एवं कार्यस्थल में यथा संभव तनाव को कम
कर, आपसी संवाद बनाए रखकर, लोगों का उपहास बनाने से परहेज कर, मन की बात
विश्वसनीय लोगों से साझा कर तथा आत्महत्या रोकथाम के लिए राष्ट्रीय व
क्षेत्रीय हेल्पलाइन नंबरों का उपयोग कर हम लोगों की मदद कर सकते हैं।
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