कोरबा, 07 सितम्बर । एक ओर जिले की खदाने कोयला उत्पादन लक्ष्य से लगातार पिछड़ रही है और ऐसे में आए दिन होने वाले आंदोलनों की वजह से भी कहीं ना कहीं कोयला उत्पादन लक्ष्य निरंतर घट रहा है। बात करें जिले की मेघा परियोजना कुसमुंडा खदान की तो बीते 1 सप्ताह में यहां 3 आंदोलनों से कोयला उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। आंदोलनों की सबसे बड़ी वजह भूविस्थापित ग्रामीणों एवं SECL अधिकारियों के रोजगार मुआवजा इत्यादि विषयों पर आपसी तालमेल में समन्वय ना बैठना है।
जानकारी के अनुसार बीते 4 सितंबर 2022 को कुसमुंडा खदान से लगे ग्राम पडनिया के ग्रामीणों ने रोजगार की मांग को लेकर कुसमुंडा खदान में नीलकंठ कंपनी का काम बंद करवा दिया था, काम लगभग 3 घंटे बंद रहा जिसके बाद एसईसीएल के अधिकारियों ने ग्रामीणों को उनकी समस्याओं के हल के लिए आगामी 15 सितंबर को कुसमुंडा जीम के साथ बैठक करने का आश्वासन दिया था, परंतु आज फिर 2 दिन बाद सोनपुरी पडनिया गांव के ग्रामीण फिर से खदान में उतर गए और नीलकंठ कंपनी का काम फिर से बंद करा दिया। फिलहाल मौके पर मिट्टी व कोल डिस्पैच में लगी गाड़ियों को रोक दिया गया है एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन के अधिकारी अभी मौके पर नहीं पहुंचे हैं । अब आगे देखना होगा कि यह आंदोलन कितने समय तक चलता है और क्या रूप लेता है ।
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