बच्चों को होने वाला अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर क्या है, इन तीन संकेतों से पहचानें

अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो किसी व्यक्ति की ध्यान देने की क्षमता को प्रभावित करता है। एडीएचडी वाले बच्चों को आमतौर पर स्कूल में परेशानी होती है और वे अपनी भावनाओं को ठीक से एक्सप्रेस नहीं कर पाते। ज्यादातर हर भावनाओं को वे गुस्सा से ही दिखाते हैं। इसे अगर समय रहते नहीं पहचाना जाता, तो बच्चा सोशल आइसोलेशन का शिकार भी हो सकता है। ऐसे में एक अवेयर पेरेंट होने के नाते आपको यह जानना जरूरी है कि एडीएचडी के लक्षण क्या हैं और कहीं आपका बच्चा तो इसका शिकार नहीं है? 
विलियम्सबर्ग थेरेपी ग्रुप से जुड़ीं चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट इरीना गोरेलिक के अनुसार एडीएचडी के लक्षण अन्य हेल्थ इश्यूज के साथ मिलकर दिखाई देते हैं। ऐसे में कई पेरेंट के लिए इसकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है लेकिन एडीएचडी के तीन मुख्य संकेत हैं। एक मशहूर न्यूज पोर्टल से बातचीत में गोरेलिक ने तीन संकेत बताए हैं। 

इन संकेतों को नोटिस करें 
हाइपरएक्टिव इमप्लसिव (अतिसक्रिय) – बच्चा बेचैन महसूस करता है और अपने इमप्लसिव बिहेवियर को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।
इनअटेंटिव (असावधान, ध्यान न देना) – इसमें बच्चे का ध्यान भटकता रहता है और बच्चा किसी पर फोकस नहीं कर पाता है।
कॉम्बिनेशन (दोनों संकेतों का संयोजन) – ऊपर लिखे दोनों संंकेत बच्चों में दिखते हैं। 


एक्टिविटी पर रखें नजर 
स्कूल के टीचर्स अक्सर एक बच्चे में एडीएचडी के लक्षणों को नोटिस करने वाले पहले व्यक्ति होते हैं। टीचर्स बच्चे की कुछ एक्टिविटीज को ध्यान से देखते हैं, तो उन्हें एडीएचडी के संंकेत मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, बच्चे को किसी काम को शुरू करने या खत्म करने में परेशानी हो सकती है, खासतौर से जिस काम के कई स्टेप्स होते हैं। वे अच्छी तरह से निर्देशों का पालन नहीं कर पाते। 

काम को सही तरीके से न कर पाना
एडीएचडी वाले बच्चे अक्सर अपनी चीजों को भूल जाते हैं या फिर सही से मैनेज नहीं कर पाते हैं। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि वे लगातार अपनी चीजों को गलत जगह पर रख रहे हों या फोल्डर में सही से सामान नहीं रख पा रहे हों। 


एक जगह टिककर न बैठ पाना 
एडीएचडी बच्चे के शरीर पर शारीरिक रूप से भी असर करता है। वे स्थिर होकर एक जगह नहीं बैठ पाते हैं और आमतौर पर आपकी सीट पर टैप करते या भागते रहते हैं। जब उन्हें बैठने के लिए कहा जाता है, तो वे 20 मिनट तक स्थिर नहीं बैठ पाते हैं। वे ज्यादा बात कर सकते हैं और बातचीत को बनाए रखने में परेशानी हो सकती है। वे इधर-उधर भागते भी हो सकते हैं। इन कारणों से उन्हें दोस्त बनाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

संकेत दिखने पर क्या करें
गोरेलिक का कहना है कि ये लक्षण कम से कम छह महीने दिखाई दें, तो इलाज के लिए डॉक्टर से जरूर मिलें। सबसे पहले बच्चे के बिहेवियर को देखा जाता है, इसके बाद उसकी जरूरतों के हिसाब से उसे ट्रीटमेंट दिया जाता है। 

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