बिलासपुर, 05 सितम्बर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर कोल डिस्पैच का हर माह कोई न कोई नया रिकार्ड बना रहा है। रिकार्ड बनाने की इस आपाधापी में उपयोग में लाई जाने वाली मालगाड़ियों की बोगियों की स्थिति क्या है इस ओर ध्यान नहीं रहा। यही कारण है कि कोरबा से कोयला डिस्पैच के लिए आने जाने वाली मालागाड़ियों में अधिकांश की बोगियों की स्थिति दयनीय हो चुकी है।
डेमेज हो चुकी इन बोगियों के डोर लॉक तो पूरी तरह से काम करने बंद कर दिए हैं। लेकिन इससे रेलवे को कोई फर्क नहीं पड़ रहा। क्योंकि डोर को लॉक करने का उनके पास देशी जुगाड़ उपलब्ध है। चाहे कोयला लोड बोगी की बात करें या कोयला लोडिंग के लिए आने वाली खाली मालगाड़ी के वैगन की। इसके बाद भी इन बोगियों के डोर को तार से बांधकर काम चलाया जा रहा है।
रविवार को रेलवे स्टेशन कोरबा में एक ऐसी खाली मालगाड़ी खड़ी थी, जिसे गेवरा-दीपका साइडिंग में कोयला लोडिंग के लिए भेजा जाना था। इस मालगाड़ी में आगे व पीछे के दोनों इंजन को छोड़कर 56 बोगियां जोड़ी गई थीं। मजेदार बात यह रही कि इस मालगाड़ी में जोड़ी गई एक भी बोगी का दरवाजा सही नहीं था। सभी दरवाजों को पतले तार के माध्यम से बांधा गया था।
किसी किसी बोगी का दरवाजा तो लटक रहा था। ताज्जुब होगा कि इस स्थिति में भी बोगियों का उपयोग कोयला डिस्पैच में बराबर किया जा रहा है। प्रबंधन का खराब हो चुके डोर लॉक को सुधरवाने की ओर ध्यान ही नहीं जाता है। रेलवे के एक कर्मचारी ने बताया कि इसकी जानकारी संबंधित विभाग के सभी अधिकारियों को है।
कोयला डिस्पैच का दबाव अधिक होने के कारण ऐसी बोगियों को उपयोग में लाने से कोई परहेज नहीं किया जा रहा है। उपयोग में आने वाली कई बोगियों की मियाद भी समाप्ति की ओर पहुंच गई है। इस संबंध में सीपीआरओ साकेत रंजन का कहना है कि मालगाड़ी के वैगन उपयोग में लाने योग्य होने पर ही इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए रेलवे की तकनीकी टीम काम करती है।
पूरे दिन हादसे का डर
कोयला लोडिंग पाइंट पर अगर इन दरवाजों को सुरक्षित ढंग से नहीं बांधा गया तो कभी भी दुर्घटना हो सकती है। क्योंकि रेललाइन के किनारे लगे खंभों से इनके टकराने का डर बना रहता है। कोयला लदे वैगन के इन दरवाजों के खुल जाने से कोयला रास्ते में ही गिर सकता है। ऐसे वैगन का उपयोग कर रेलवे प्रबंधन स्वयं दुर्घटना को निमंत्रण देने में जुटा हुआ है। जिस तरह से पूरी की पूरी मालगाड़ी के डेमेज हो गए वैगन व उसके डोर काे उपयोग में लाया जा रहा है उससे कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है।
गाड़ी भी हो चुकी है डिरेल
डेमेज हो चुकी बोगियों के कारण बिलासपुर में कई बार मालगाड़ी डिरेल हो चुकी है। बोगियों के रखरखाव की ओर ध्यान देने के कारण ऐसी स्थिति डिवीजन के विभिन्न रेलखंड में होती रहती है। इससे घंटों रेल यातायात बाधित होती है और राजस्व की भी क्षति होती है। बीते कुछ महीनों की बात करें तो कुसमुंडा साइडिंग, बालपुर स्टेशन व बिलासपुर में दाधापारा के मालगाड़ी डिरेल हो चुकी है।
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