मंदिर या नई बिल्डिंग, ट्विन टावर वाली जमीन पर क्या बनेगा? फिर कोर्ट जा सकता है मामला

नोएडा स्थित 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को तो धमाकों से जमींदोज कर दिया गया, लेकिन उस जमीन पर अब होने वाले नए निर्माण को लेकर विवाद छिड़ गया। मामला कोर्ट में जाने की नौबत भी आ सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नोएडा स्थित 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को तो धमाकों से जमींदोज कर दिया गया, लेकिन उस जमीन पर अब होने वाले नए निर्माण को लेकर विवाद छिड़ गया। मामला कोर्ट में जाने की नौबत भी आ सकती है। आपको बता दें कि जिस जमीन पर सुपरटेक द्वारा अवैध रूप से दो टावरों का निर्माण किया गया था, वहां अब क्या बनेगा इसको लेकर अंतिम निर्णय होना फिलहाल बाकी है। 

न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिल्डर उस जगह पर एक नई आवासीय परियोजना विकसित करना चाहता है। वहीं, बिल्डर के खिलाफ कोर्ट जाने वाले एमराल्ड कोर्ट के निवासियों का कहना है कि अगर सुपरटेक वहां एक और आवासीय प्रोजेक्ट पर काम करता है कि तो वे फिर अदालत का रुख करेंगे। एमराल्ड कोर्ट रेजिडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उदय भान सिंह तेवतिया ने पीटीआई से कहा, “बेशक, हम बिल्डर द्वारा इस तरह के किसी भी प्रयास का विरोध करने जा रहे हैं। हम जरूरत पड़ने पर अदालत का भी दरवाजा खटखटाएंगे।”

इस मुद्दे पर चर्चा के लिए वहां रहने वाले लोगों की एक बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी। आपको बता दें कि ट्विन टावर वाली जगह को लेकर कई प्रस्ताव आए हैं, उनमें मंदिर का निर्माण भी शामिल है।

तेवतिया ने कहा, “सोसायटी परिसर के भीतर ट्विन टावर अवैध रूप से आ गए थे। उस जगह को हरियाली वाले स्थान के लिए निर्धारित किया गया था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अब हम वहां एक पार्क बनाने जा रहे हैं। वहां एक मंदिर बनाने के लिए भी कई लोगों ने सुझाव दिए हैं। हालांकि, हम सोसाइटी के लोगों की एक बैठक जल्द ही करने वाले हैं। उसी के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।”

सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने कहा कि उनकी साइट पर एक हाउसिंग प्रोजेक्ट विकसित करने की योजना है और जरूरत पड़ने पर वे रेजिडेंट्स एसोसिएशन की अनुमति लेंगे। कंपनी ने कहा कि उसके पास 2 एकड़ जमीन है जो हरियाली वाले क्षेत्र में नहीं आती है। यदि अनुमति नहीं दी जाती है तो कंपनी प्राधिकरण से भूमि की लागत की वापसी की मांग करेगी। अरोड़ा ने कहा, “मौजूदा दर पर जमीन की कीमत करीब 80 करोड़ रुपए होनी चाहिए। हमने इस परियोजना में अतिरिक्त एफएआर (फर्श क्षेत्र अनुपात) की खरीद के लिए करीब 25 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया है।”

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