बालीवुड, हालीवुड नहीं संस्कार काम आएगा जीवन में : देवकीनंदन

अंबिकापुर,4 सितम्बर। प्रख्यात कथावाचक आचार्य देवकीनंदन ठाकुर ने युवाओं से फिल्मों की चकाचौंध दुनिया से सावधान रहने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि हमारे जीवन में बालीवुड या हालीवुड कभी काम नहीं आएगा। जीवन में यदि कुछ काम आएगा तो वह है हमारे संस्कार और श्री कृष्ण के प्रति प्रेम का भाव।संस्कार युक्त जीवन सबसे बेहतर है। माता, पिता और बड़ों की सेवा हमारा मूल कर्तव्य होना चाहिए।

अंबिकापुर के होटल ग्रैंड बसंत परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में श्रद्धालुओं को अपने प्रेरक उद्बोधन से भाव- विभोर करने वाले आचार्य देवकीनंदन ठाकुर लगातार परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में बच्चों, युवाओं के साथ सभी व्यक्ति की भागीदारी को लेकर मार्गदर्शन दे रहे हैं। संस्कार युक्त जीवन की सीख देकर उसी पथ पर चलने आह्वान भी कर रहे हैं।बीच-बीच में भजनों की मनोहारी प्रस्तुति श्रद्धालुओं को झूमने के लिए विवश कर रही है। श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस की शुरुआत विश्व शांति की प्रार्थना के साथ की गई। आचार्य देवकीनंदन ठाकुर ने प्रवचन से पहले मीठे रस से भरो री राधा रानी लागे महारानी लागे भजन का श्रवण कराया। श्रीमद् भागवत कथा आरंभ होने से पहले ही इस मनोहारी भजन ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।आचार्य देवकीनंदन ठाकुर ने सर्वप्रथम भगवान के प्रति भक्तों का विशेष मार्गदर्शन किया और कहा- भगवान कहते हैं जो मनुष्य मुझे जिस भाव से भजता है, मैं उसकी उस भाव से ही रक्षा करता हूं और उसको मैं भी भजता हूं। भगवान किसी के साथ भेद नहीं करते, भगवान का नाम ही समदर्शी है। जैसा आपका भाव है, भगवान उस ही रूप में आपको अनुभव होते हैं। कथा के मध्य आचार्य देवकीनंदन ठाकुर ने श्रद्धालुओं से पूछा कौन-कौन भगवान की पूजा करता है, पंडाल में बैठे सभी भक्तों ने अपने हाथ खड़े कर दिए। तब आचार्य ने कहा-जब मनुष्य अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है परेशान होता है, तो अपने दुख कुछ उन लोगों के सामने व्यक्त करता है जो उस व्यक्ति के पीठ-पीछे उसकी हंसी उड़ाते हैं। दुख या परेशान व्यक्ति कभी भी ऐसे अपमान का सामना न करें इसके लिए आचार्य ने श्रद्धालुओं को ऐसे दो स्थान बताए जहां उसकी हर समस्या का समाधान आसानी से हो जाएगा।यदि मनुष्य उन दो स्थान पर अपना दुख बाटे तो उसकी कभी भी हंसी नहीं उड़ेगी।

प्रसंग के दौरान आचार्य देवकीनंदन ठाकुर ने कहा- हर संतान की यह म्मिेदारी बनती है कि वहअपने मां-बाप व अपने पितरों के लिए शुभ कार्य करे जिससे उनको सुख एवं शांति मिल सके।उन्होंने युवाओं के उज्जवल भविष्य हेतु मार्गदर्शन भी दिया।युवाओं से कहा कि बालीवुड वाले लोग जिसे रास कहते हैं वो रास नहीं है,इस बात को युवाओं को समझने और सतर्क रहने की जरूरत है।उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि जीवन में कभी भी बालीवुड को फ़ालो मत करो । हमारे काम न तो बालीवुड आएगा और न ही हालीवुड आएगा।हमारे काम आएंगे तो हमारे संस्कार और कन्हैया। उन्होंने भारतीय आदर्श संस्कार पर विशेष व्याख्यान देते हुए बालीवुड आएगा और न ही हालीवुड आएगा।हमारे काम आएंगे तो हमारे संस्कार और कन्हैया। उन्होंने भारतीय आदर्श संस्कार पर विशेष व्याख्यान देते हुए बाल्यकाल से ही संस्कार युक्त जीवन की सीख देने का आग्रह माता पिता से भी किया।आचार्य देवकीनंदन ठाकुर के सानिध्य में चल रहे श्रीमद भागवत कथा के षष्टम दिवस श्री कृष्ण -रुक्मणी विवाह प्रसंग पर उन्होंने व्याख्यान दिया। आयोजन स्थल पर श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग का जीवंत प्रदर्शन श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र रहा। इस अद्भुत पल को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। विवाह के बाद श्री कृष्ण रुक्मणी को बधाई देने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।प्रख्यात कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने अपने सु मधुर वाणी से श्रीमद् भागवत कथा के प्रवचन से समूचे अंचल के श्रद्धालुओं को बांध दिया है आयोजन में शामिल होने के लिए दोपहर बाद से ही शहर के कोने-कोने से श्रद्धालुओं के घरों से निकलने का सिलसिला शुरू हो जाता है जो कथा की समाप्ति तक आयोजन स्थल पर जमे रहते हैं। कथा आरंभ होने से पहले सुबह से ही आचार्य देवकीनंदन ठाकुर से मुलाकात और आशीर्वाद प्राप्त करने लोगों का तांता लगा रहता है।आयोजन ने शहर के माहौल को भक्तिमय कर दिया है।

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