नईदिल्ली,1सितम्बर I लद्दाख में एलएसी पर शांति स्थापित करने के लिए भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों ने बुधवार को भी बातचीत की। अधिकारियों का कहना है कि यह एक रूटीन मीटिंग थी। हालांकि 21 अगस्त को डेमचोक में भारतीय चरवाहों के रोके जाने के बाद दोनों तरफ से तनाव बढ़ा है। उधर कुछ नई सैटलाइट तस्वीरें भी सामने आई हैं जिनमें दावा किया गया है कि पैंगोंग त्सो के पास चीन लगातार निर्माण कर रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पैंगोंग लेक के पास चीन चौड़ी सड़कें, टावर और ब्रिज बना रहा है। यह निर्माण वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास ही हो रहा है।तस्वीरों में देखा गया है कि एलएसी के पास चीन एक जगह नहीं बल्कि कई जगह टावर लगा रहा है। इसके अलावा वह तेजी से ब्रिज बनाने का काम भी कर रहा है। चीन के कब्जे वाले इलाके में उत्तरी किनारे पर तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जा रहा है। दो साल पहले जब चीन की सेना की प्रतिक्रिया धीमी देखी गई तो भारतीय सेना ने ऑपरेशन चलाकर कैलाश रेंज के कुछ स्थानों पर सैनिकों की तैनाती कर दी थी। हालांकि डिसइंगेजमेंट के बाद चीन ने फिर से यहां कब्जा जमाना शुरू कर दिया है। वह लेक तक के लिए सड़क और इलेक्ट्रॉनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में लगा है।सैटलाइट इमेज के मुताबिक दक्षिणी तट पर चीन ने सड़क बना दी है और कई जगहों पर अब भी काम चल रहा है। इस काम में बड़ी बड़ी मशीनों को लगाया गया है। पहाड़ों को काटकर समतलीकरण का काम भी जारी है। बताया जा रहा है कि इस नए सड़क जाल के माध्यम से चीन भारी हथियारों को एलएसी तक ला सकता है। वहीं लेक पर पुल का काम एक साल से रुका हुआ था जिसे जीन ने दोबारा शुरू कर दिया है।पल के दोनों तरफ सड़क बनाई जा रही है। अभी दक्षिणी किनारे की तरफ पुल का का कुछ काम बाकी है। अनुमान है कि पहले पीएलए के सैनिकों को तनाव वाले जिस क्षेत्र में पहुंचने में 12 घंटे का सामय लगता था, ब्रिज बन जाने से यह समय केवल चार घंटे का लगेगा। सड़क के अलावा कई अन्य काम भी चीन इस इलाके में कर रहा है। इसमें नए टावर, इमारत भी शामिल हैं।भारत सरकार ने पहले भी कहा था कि चीन के ये निर्माण गैरकानूनी हैं। भारत ने कहा था कि चीन ने 60 साल पहले जिस क्षेत्र में गलत तरीके से कब्जा कर लिया था, वह वहीं पर ब्रिज बना रहा है। भारत इस तरह के कब्जे को कभी स्वीकार नहीं कर सकता। सरकार का कहना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण का काम तेज किया गया है।
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