उत्तर प्रदेश के महाराजगंज (Maharajganj) में नागपंचमी के दिन एक ऐसी परंपरा का पालन हो रहा हो जो आज से नहीं करीब 45 साल से जारी है। इस दिन एक शख्स गाय-भैंस की तरह नाद में मुंह डालकर चारा खाता है।
भारत सांस्कृतिक रूप से इतना भिन्न है कि एक जगह से दूसरी जगह इतना अंतर देखने को मिलता है मानो आप दूसरी दुनिया में आ गए हो। भारत में कई जगहों पर अलग-अलग परंपराओं का पालन होता है। कई बार कुछ परंपराएं इतनी अजीब होती हैं कि उसे जानकर हैरानी होती है। ऐसी ही एक परंपरा उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में निभाई जाती है। इस परंपरा के मुताबिक एक शख्स नाग पंचमी के दिन गाय-भैंस की तरह नाद में मुंह डालकर चारा खाता है। लोगों का मानना है कि इस दौरान उसमें अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं। नाग पंचमी के दिन उस शख्स के दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं।
जानकारी के मुताबिक महाराजगंज जनपद के कोल्हुई थाना इलाके में रुद्रपुर शिवनाथ का मंदिर है। यहां बुधीराम रहते हैं जो पेशे से रोडवेज बस चालक थे लेकिन अब रिटायर हो चुके हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक हर साल नागपंचमी के दिन बुधीराम इंसान से पशु बन जाते हैं और वो अपने घर के बाहर समया माता के मंदिर पर बैठ जाते हैं। इस दौरान लोग फूल-माला पहनाकर उनकी पूजा करते हैं। यही नहीं बुधीराम इस दौरान नाद में गाय-भैंस की तरह चारा भी खाते हैं।
बुधीराम का कहना है कि नागपंचमी के दिन उनपर भैंसासुर की सवारी आती है। उनका कहना है कि वो 40-45 साल से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। उनके मुताबिक हर तीन साल के अंतराल पर नागपंचमी के दिन उनके साथ ऐसा होता है। बुधीराम का कहना है कि जब उनपर भैंसासुर की सवारी आती है तो लोग उनकी पूजा करते हैं और उन्हें चारा और भूंसा खाने को देते हैं। बुधीराम के मुताबिक साल के बाकी दिन वो सामान्य रहते हैं। बुधीराम के मुताबिक जब उनपर भैंसासुर की सवारी आती है तो लोग उनकी पूजा करते हैं और फिर कुछ घंटों बाद वो सामान्य हो जाते हैं।