गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही स्वीकार्य नही

प्रत्येक गौठान में हर पखवाड़ा 30 क्विंटल गोबर खरीदी करें सुनिश्चित

सुकमा। गोधन न्याय योजना शासन की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे आज देश के अन्य राज्य सरकार एवं विदेशों द्वारा अपनाने पर विचार किया जा रहा है। यह योजना ना सिर्फ पशुपालकों बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का कार्य कर रहा है। इसलिए इस योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी। आज जिला पंचायत के सभाकक्ष में आयोजित गोधन न्याय योजना की समीक्षा बैठक में कलेक्टर हरिस. एस ने यह बाते कहीं। उन्होंने जिले में संचालित समस्त गौठानों एवं वन विभाग द्वारा संचालित आवर्ती चराई में योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की। इस बैठक में जिला पंचायत सीईओ  देवनारायण कश्यप, सभी जनपद पंचायत सीईओ, गौठान नोडल अधिकारी, सचिव सहित संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारी गण उपस्थित रहे।

बैठक में कलेक्टर ने ब्लॉक वार सभी गौठानों में गोबर खरीदी, क्रय गोबर की मात्रा, वर्मीखाद निर्माण की स्थिति और मात्रा, वर्मीखाद भण्डारण एवं विक्रय के साथ ही मल्टीएक्टिविटी संचालन की गहन समीक्षा की। उन्होंने कहा कि जिले में स्वावलंबी गौठानों की संख्या अभी कम है, जिसे बढ़ाने हेतु गौठानों में गोबर खरीदी को बढ़ाने के साथ ही वर्मी खाद उत्पादन को प्राथमिकता से करने की आवश्यकता है। शासन द्वारा प्रत्येक गौठान में 15 दिवस में न्यूनतम 30 क्विंटल गोबर क्रय करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं। साथ ही उत्पादित वर्मीखाद की निकासी भी समय पर करने जोर दिया। उन्होंने जिन गौठानों में पिछले पखवाड़े में बिल्कुल भी खरीदी नहीं हुई है, उनके सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए है।

उन्होने समस्त गौठान नोडल एवं सचिव से संवाद कर गोबर खरीदी मे आ रही समस्याओं का संज्ञान लिया और साथ ही गौठानों में आवश्यक संसाधनों की आवश्यकता की जानकारी ली। उन्होंने कहा है कि आवर्ती चराई गौठानों मे कार्य प्रगति नही आने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होने पंजीकृत पशुपालकों को गोबर विक्रय करने हेतु प्रोतसाहित करने के साथ ही पंजीयन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही क्रय गोबर से निर्धारित 40 प्रतिशत मात्रा में वर्मीखाद उत्पादन करने को कहा और गोबर खरीदी और वर्मीखाद उठाव की ऑनलाईन एन्ट्री अविलंब करने के निर्देश दिए हैं। उन्होने दो टूक कहा कि आगामी 15 दिवसों में गौठानों की स्थिति सुधारें, अन्यथा संबंधित नोडल अधिकारी एवं सचिव पर कार्यवाही की जाएगी, जिसके जिम्मेदार वे स्वयं होंगे।