पेट पालने की इतनी भी कोई मजबूरी नहीं कि चोरी करने की आवश्यकता पड़े : साध्वी स्नेहयशा

रायपुर । न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर जिनालय में तीन दिवसीय भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया जा रहा है। जप-तप और साधना के क्रम में 3 से 5 अगस्त तक निमित्त अट्ठम किया जा रहा है। महावीर जिनालय से बुधवार को अट्ठम शुरू किया गया। इसी के साथ देशभर में 1008 अट्ठम किया जा रहा है।

राजधानी रायपुर में 108 अट्ठम के साथ इसकी शुरुआत बुधवार से हो चुकी है। इसका संपूर्ण लाभ शिवराज जी, सरोज देवी, जय जी, विजय जी बेगानी परिवार ने लिया है। अट्ठम करने वालों से साध्वी स्नेहयशा म.रा.सा. कहती है कि अट्ठम के दौरान आपको अच्छा बोलना है, अच्छा बोलोगे तो आपको अच्छ ही सुनने को मिलेगा। साथ ही एक प्रार्थना सबके सुख की कामना के लिए करना। इन तीन दिनों में सबसे सुख की कामना करो और एेसा करते हुए इसे अपने दिनचर्या में शामिल कर लो। 

सब्जी लेने जब आप बाजार जाते हो और पैसे देकर सब्जी लेते। फिर भी मुफ्त में धनिया-मिर्ची जो झोले में आप डाल लेते हो, वह चोरी है। इस दुनिया में कोई भी इतना गरीब नहीं है कि उसे चोरी करके अपना पेट पालना पड़े। ऐसा दुर्भाग्य किसी का नहीं होता। यह बातें बुधवार को न्यू राजेंद्र नगर के मेघ-सीता भवन, महावीर स्वामी जिनालय परिसर में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान साध्वी स्नेहयशा ने कही। 

साध्वीजी कहती है कि पुराने समय की बात है। एक व्यापारी अपने नगर के बाजार में ऊंट खरीदने जाता है। बाजार में उसे वह ऊंट दिख जाता है, जिसकी उसे तलाश रहती है। वह उसकी कीमत पूछता है और मोलभाव कर उस ऊंट को खरीद लेता है। ऊंट लेकर वह घर लेकर आ जाता है। उस ऊंट पर कपड़ा लगा रहता है। वह नौकर को कहता है कि इसके कपड़े हटा दो और नए कपड़ लगा दो। नौकर उसके कपड़े को हटाता है तो उसके अंदर मखमल का कपड़ा रहता है। वह उसे भी हटा देता है तो उसके पीछे नौकर को एक थैली मिलती है जिसमें 10 हीरे हाेते हैं। वह मालिक के पास दौड़ता हुआ जाता है और बताता है कि ऊंट में एक थैला टंगा था, जिसमें 10 हीरे हैं। व्यापारी इसे देखकर हैरान हो जाता है और सोचता है कि मैंने तो सिर्फ ऊंट की कीमत देकर इसे घर लाया था। वह कहता है कि इन हीरों काे वापस कर देना चाहिए। नौकर को वह कहता है कि चलो इन हीरो को वापस करके आते हैं तो नौकर कहता है मालिक आप पागल हो गए हो क्या। यह 10 हीरे जो आपको मिले हैं वह बेशकीमती हैं। इन्हें बेच कर बहुत पैसे मिल सकते हैं। मालिक ने कहा मैंने सिर्फ ऊंट के पैसे दिए है हीरो के नहीं। वह ऊंटों के व्यापारी के पास जाता है और उसे पूरी बात बताते हुए हीरो का थैला वापस कर देता है। व्यापारी उसकी ईमानदारी से प्रभावित होता है और कहता है की इसमें से दो हीरे आपके ईमानदारी के लिए मैं आपको देता हूं आप इन्हें स्वीकार कर लीजिए। वह कहता है कि मैं ये हीरे नहीं रख सकता। बहुत कहने के बाद वह व्यापारी कहता है कि मैंने पहले ही इस थैले में से दो हिरे निकाल लिए हैं। वह अपने थैनों में से हीरे निकालकर गिनता है तो उसमें 10 हीरो ही होते हैं। इस पर वह पूछता है कि इसमें तो पूरे 10 है, तुमने कौन से दो हीरे निकाले हैं। व्यापारी वह जवाब देता है कि मैंने ईमानदारी और खुद्दारी नाम के दो हीरे पहले ही निकाल लिए हैं, अब मुझे यह नहीं चाहिए। 

इंद्रियों का दासत्व छोड़ो, स्वामित्व प्राप्त करो

साध्वीजी कहती है कि हमें इंद्रियों का दासत्व छोड़ना है और उनका स्वामित्व प्राप्त करना है। दासत्व को स्वीकार करने वाला नौकर अपने मालिक के घर त्यौहार के दौरान भी एक से दो घंटा एक्स्ट्रा काम करता है। यह काम उसे करना ही पड़ता है क्योंकि उसने दासत्व को स्वीकार किया है। जॉब और नौकरी दोनों एक ही शब्द है, अंग्रेजी में इसे जॉब कहते है। इसे कहने में थोड़ा अच्छा तो जरूर लगता है लेकिन इसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ नौकरी ही है। जब कभी आप ऑफिस जाने कुछ 5-10 मिनट देर हो जाए या 1 दिन नहीं जा पाए 2 दिन की छुट्टी ले ली या फिर आपकी तबीयत खराब हो जाती है तो आपके पैसे कट जाते हैं। अटेंडेंस लगाने के लिए आपको मैनेजर से अच्छे संबंध बनाने पड़ते हैं और अच्छे संबंध होने से वह मैनेजर आपकी छोटी-मोटी गलतियों को, 5-10 मिनट लेट होने या 1 दिन की छुट्टी लेने पर भी आपका अटेंडेंस लगा देता है। यह भी एक छोरी के समान है। जब तक आप दास रहेंगे तब तक आप को सुनना पड़ेगा और जैसे मालिक बोलेंगे वैसा करना पड़ेगा। भगवान कृष्ण के जीवन में जितनी भी लड़कियां आई, वह उनसे पूछते थे कि तुम्हें रानी बनना है या दासी। आप जहां जॉब कर रहे हो वहां के मालिक आप कभी नहीं बन सकते हो। हमारी इंद्रियां भी हमसे दासत्व कराती है। आंख टिमटिमाती है और कान सतर्क रहते हैं। इन इंद्रियों को आप को रोक नहीं सकते वास्तविकता यह है कि एक भी इंद्रियां हमारे वश में नहीं है। 

तप के लाभार्थी

धर्मराज बेगानी धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट के ट्रस्टी मेघराज बेगानी तथा आध्यात्मिक चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विवेक डागा ने बताया कि बुधवार को पंचपरमेष्ठी तप और 18 पाप स्थानक निवारण तप किया गया। तप के लाभार्थी जीवनलाल मुकेश कुमार, राकेश, उमेश, शैलेश, निलेश, सतीश एवं लोढ़ा परिवार रायपुर-खैरागढ़ रहे।