अनुसूचित जनजाति के समाज प्रमुखों की बैठक
कोण्डागांव। कमिश्नर श्याम धावड़े ने कहा कि राजस्व अधिकारी बड़े-बड़े गाँवों में शिविर आयोजित कर सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र बनाने के कार्य आवश्यक प्रगति लाए। उन्होंने कहा कि बस्तर अधिसूचित क्षेत्र है सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र के लिए कोई साक्ष्य दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। नगरीय क्षेत्र में निवास करने वाले के लिए सामान्य सभा से संकल्प पत्र जारी करवाकर या ग्रामीण क्षेत्र के लिए ग्रामसभा का प्रस्ताव पर कार्यवाही कर प्रमाण पत्र जारी किया जाए। कमिश्नर धावड़े गुरुवार को कोण्ड़ागाँव के जिला कार्यालय के सभाकक्ष में अनुसूचित जनजाति के समाज प्रमुखों से परिचर्चा कर रहे थे।
कमिश्नर ने कहा कि राजस्व अधिकारी बड़े-बड़े गांवों में शिविर आयोजित कर सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र जारी करने के कार्य को 15 सितंबर तक जिले में पूर्ण किया जाए। उन्होंने स्कूली बच्चों का सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र निर्माण के लिए शिक्षा विभाग, आदिवासी विकास विभाग मिलकर पूरा करने के निर्देश दिए। कमिश्नर धावड़े ने कहा कि पात्र हितग्राही को ग्रामसभा के माध्यम से समाज प्रमुख सहयोग करें। उन्होंने ने कहा कि अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को उनके संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।
परिचर्चा में कोण्ड़ागाँव जिले के सर्व आदिवासी समाज, गोंड, मुरिया, भतरा, गोड़, हल्बा, पारधी, कोया, राजगोड़ के प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित थे। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष देवचन्द मतलाम, कलेक्टर दीपक सोनी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत प्रेमप्रकाश शर्मा, डीएफओ उत्तम गुप्ता, डिप्टी कमिश्नर श्रीमती माधुरी सोम सहित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।
समाज प्रमुखों ने पूरे जिले में देवगुड़ी-मातागुडी का जीर्णाेद्धार के विकास में एकरुपता होने की माँग की। कमिश्नर ने कहा कि देवगुड़ी के सेवक, बैगा, सिरहा, गायता, आट पहरियाँ, बाजा मोहरिया, माँझी चालकी को राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषक मज़दूर न्याय योजना का लाभ देने के लिए पंजीयन कार्य को जल्द पूर्ण करें। देवगुडी-मातागुडी के ज़मीन को देवस्थल को कैफ़ियत कालम में दर्ज कर राजस्व रिकार्ड में अद्यतन कर समाज प्रमुखों या बैगा-पुजारी को कॉपी दिया जाए। साथ ही मृतक स्थलों या पुरातन स्थल को संरक्षित किया जाए।
बैठक में कमिश्नर ने कहा कि वनाधिकार मान्यता पत्र धारक या सामुदायिक पट्टा के हितग्राही को ज़मीन का उपयोग आजीविका उपार्जन के रूप करें। एफआरए के ज़मीन पर अधिक-अधिक फलदार वृक्ष का पौधारोपण करें। कमिश्नर ने कहा यदि एफआरए ज़मीन पर स्थित जंगल की कटाई किया जाता है तो उसके खिलाफ़ वन विभाग आवश्यक कार्यवाही किया जाए। वन अधिकार मान्यता पत्र के तहत कलेक्टर सोनी ने बताया कि कोण्ड़ागाँव जिले में गूगल मैप को देखकर ही 13 दिसम्बर 2005 से पूर्व की स्थिति को देखकर एफआरए की कार्यवाही किया जा रहा है। समाज प्रमुखों ने एफआरए क्षेत्र में वन औषधीय का संरक्षण, वनों की कटाई पर रोक लगाने की माँग की। कमिश्नर ने ऋणपुस्तिका का वितरण, केसीसी कार्ड बनाने, भूमि सुधार सहित अन्य विकास कार्य करने के निर्देश दिए। कमिश्नर ने कहा कि वन अधिकार पत्र की जानकारी खसरा में दर्ज किया जाएगा। एफआरए क्षेत्र में अपने पूर्वजों के नाम से पेड़-पौधे लगाए। उन्होंने कोण्ड़ागाँव में वन अधिकार ऋण पुस्तिका का वितरण कार्य को अभियान चलाकर प्रगति लाने के निर्देश दिए। साथ ही सामुदायिक वन संसाधन के मामले में सीमा विवाद को आपस में मिलकर निराकरण करें।
कमिश्नर ने समाज प्रमुखों से जिले में कोविड टीकाकरण कार्य में आवश्यक सहयोग करने के साथ-साथ मौसमी बीमारियों और सर्पदंश के मामलों में त्वरित नज़दीकी अस्पताल में इलाज करवाने कहा। कमिश्नर ने जिले में खाद-बीज उपलब्धता और वितरण, राशन कार्ड की स्थिति भी संज्ञान लिया।
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