Indian Railways: ट्रेन या स्टेशन पर आपके छूटे सामान का क्या करती है इंडियन रेलवे, जानिए क्या है वापस पाने की प्रक्रिया

Indian Railways News: भारतीय रेल दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और यह दुनिया में एकमात्र ऐसा परिवहन का साधन है जिसमें आप हजार किलोमीटर की यात्रा ₹500 की कीमत में स्लीपर बर्थ पर कर सकते हैं. ट्रेन का सफर किफायती और आरामदेह होने की वजह से रेल यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लंबे सफर में लोग फ्लाइट या सुपरफास्ट ट्रेन से ही यात्रा करना पसंद करते हैं. कई बार रेलवे के सफर में यात्री अपना जरूरी सामान जैसे मोबाइल, पर्स, लैपटॉप, चार्जर या लगेज बैग आदि भूल जाते हैं. क्या आपको पता है कि रेलवे इन सामानों का क्या करती है?

कीमती सामान पा सकते हैं वापस
अगर आपको रेलवे के नियमों की जानकारी है तो आप ट्रेन में छूटे अपने कीमती सामान को वापस पा सकते हैं. भारतीय रेल के नियमों के अनुसार ट्रेन में छूट गए सामान को उसके असली मालिक तक पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया है.

लास्ट स्‍टेशन पर होती है गाड़ी की चेक‍िंग
अगर कोई ट्रेन दिल्ली से चलकर गुवाहाटी जा रही है तो गुवाहाटी पहुंचने के बाद उसकी प्रॉपर चेकिंग की जाती है. जब सभी यात्री ट्रेन से उतर जाते हैं तो खाली गाड़ी की रेलवे सुरक्षा बल के एक अधिकारी के साथ स्टेशन के स्टाफ द्वारा चेकिंग की जाती है. इस चेकिंग में गाड़ी की सुरक्षा का ध्यान रखने के साथ यह भी देखा जाता है कि कहीं किसी यात्री का कोई जरूरी सामान सीट या सीट के नीचे ना छूट गया हो.

स्टेशन मास्टर के पास होता है जमा
अगर किसी यात्री का कोई सामान ट्रेन में छूट गया है तो उसे आरपीएफ के जवान उस स्टेशन मास्टर के पास जमा करा देते हैं. इसके साथ ही गाड़ी में या स्टेशन पर मिले किसी लावारिस या बिना बुक किए गए सामान की एक रसीद बनाकर इसे स्टेशन मास्टर के पास जमा करा दिया जाता है.

संपत्ति रजिस्टर में दर्ज क‍िया जाता है सामान
ट्रेन में है स्टेशन पर छूटे गए सामान को आरपीएफ या रेलवे के स्टाफ खोई हुई संपत्ति के रजिस्टर में दर्ज कर देते हैं. यहां उस सामान की डिटेल मतलब वस्तु का नाम, वजन, अनुमानित कीमत आदि का रिकॉर्ड लिखा जाता है. अगर ट्रेन या स्टेशन पर कोई बक्सा, संदूक, अटैची मिलती है तो रेलवे सुरक्षा बल या रेलवे पुलिस की मौजूदगी में उसमें मौजूद सामान की लिस्ट बनाई जाती है. इस लिस्ट की तीन कॉपी होती है. पहली कॉपी सामान के रजिस्टर में, दूसरी संदूक में और तीसरी रेलवे सुरक्षा बल के पास रहती है. इसके बाद संदूक को सील बंद कर दिया जाता है.

खोई हुई संपत्ति वापस पाने का तरीका
खोई हुई संपत्ति वापस पाने के लिए कोई व्यक्ति संपर्क करता है और उसके दावे से स्टेशन मास्टर संतुष्ट हो जाता है तो संबंधित सामान उस व्यक्ति को दे दिया जाता है. दावेदार का पूरा पता खोई हुई संपत्ति वाले रजिस्टर में दर्ज होता है. रेलवे से अपना सामान वापस लेने के बाद दावेदार के हस्ताक्षर भी रजिस्टर में कराए जाते हैं.

स्टेशन मास्‍टर कर सकता है इंकार
स्टेशन मास्‍टर को यदि खोए हुए सामान के दावेदार के असली मालिक होने पर शक होता है तो वह सामान देने से इंकार कर सकते हैं. इसके बाद मामला डिवीजनल कमर्शियल सुपरिटेंडेंट के पास जाता है. यहां दावेदार और सामान की पूरी छानबीन होने के बाद ही आपको अपना सामान वापस मिल सकता है.

खोई चीज को असली माल‍िक तक पहुंचाने का न‍ियम
रेलवे का दूसरा न‍ियम यह है क‍ि स्टेशन मास्टर खोई हुई संपत्ति को उसके असली मालिक तक पहुंचाने का प्रयास करे. क‍िसी सामान पर नाम या पहचान की जानकारी आद‍ि म‍िलने पर इसे उसके असली माल‍िक तक पहुंचाना आसान हो जाता है. कुछ दशक पहले तक बैग या अटैची में हैंडल के पास एक टैग होता था जिसमें लोग अपना विजिटिंग कार्ड का कागज पर नाम पता लिख कर रखते थे.