बिलासपुर।16जुलाई को जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर में विचाराधीन बंदियों से संबंधित समस्त दाण्डिक प्रकरणों की सुनवाई विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई। छ.ग. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरूप कुमार गोस्वामी एवं छ.ग.उच्च न्यायालय बिलासपुर के कम्प्यूटराईजेशन कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी.सैम कोशी द्वारा विचाराधीन बंदियों के प्रकरणों की सुनवाई विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से किये जाने पर जोर दिया गया है, जिसके परिपालन में जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर. के. अग्रवाल के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर में एक ही दिवस में विचाराधीन बंदियों के समस्त प्रकरणों की सुनवाई विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से किये जाने का सफल प्रयोग किया गया।
जिला न्यायालय बिलासपुर में शहाबुद्दीन कुरैशी, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में कोल माफिया की सुपारी किलिंग से संबंधित प्रकरण में अभियुक्त घनश्याम उर्फ बाबू पाण्डेय को केन्द्रीय जेल बिलासपुर से विडियों कान्फेसिंग के माध्यम से प्रस्तुत किया गया तथा इस प्रकरण के गवाह जशपुर में निवासरत डॉ. मंयक श्रीवास्तव की गवाही भी विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से दर्ज की गई। उक्त प्रकरण 27 मार्च 2021 से गवाह डॉ. मंयक श्रीवास्तव की न्यायालय में भौतिक रूप से अनुपस्थिति के कारण लंबित था, जिसे आज दिनांक को विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूर्ण कराया गया।
इस प्रकार उक्त प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियुक्त तथा गवाह दोनों विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायालय में उपस्थित हुए। इस प्रकार जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर में विभिन्न न्यायालयों द्वारा एक ही दिवस में कुल 105 दाण्डिक प्रकरणों में कुल 120 विचाराधीन बंदियों की सुनवाई विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई। वर्तमान में केन्द्रीय जेल बिलासपुर में 10 विडियों कान्फ्रेंसिग कक्ष स्थापित है जिनके माध्यम से जेल में निरुद्ध बंदियों के प्रकरणों की सुनवाई विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से किये जाने की व्यवस्था की गई। इस प्रकार विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रकरणों की सुनवाई किये जाने से कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ ही शासन के धन बल एवं समय की भी बचत होती है।
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