शांति चाहते हो तो सुनाने के साथ सुनने का भी सामर्थ्य लाओ : आचार्य विशुद्ध सागर

रायपुर। विशुद्ध वर्षा योग 2022 में शुक्रवार को आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने कहा कि मात्र हम सुनाना जानते हैं इसलिए झगड़ा होता है। जो तुम सुना रहे हो इतना ही नहीं है, इसके आगे भी सुनिए। घर,समाज, राज्य और राष्ट्र में शांति चाहते हो तो सुनाने के साथ सुनने का भी सामर्थ्य लाओ। नय प्रमाण का अंश होता है। प्रमाण से ग्रहित अर्थ के अंश को जो कहता है, उसका नाम नय हैं। जो नय की व्याख्या नहीं करते इसलिए आपस में लड़ते हैं।

आचार्य श्री ने कहा कि ज्येष्ठों के सामने,पूज्यों के सामने पूजा की जाती है, पूज्यपना दिखाया नहीं जाता। जब किसी बड़े गुरु से मैं मिलता हूं तो मौन बैठ जाता हूं। जो मैं जानता हूं वह मेरा तो है ही लेकिन जब आप गुरु के समीप हो तो उनका  खींच लो अपना खर्च मत करों। उनसे जितना ले सकते हो ले लो,सुनाना ही नहीं सुनना भी सीखों। 

शब्द और ज्ञान के अभाव में अर्थ का अनर्थ जीव करता है। विशाल बुद्धि से सोचने से काम नहीं चलेगा,सूक्ष्म बुद्धि को भी प्रवेश दिलाओगे तो तत्व का बोध होगा। विशाल बुद्धि से तत्व को जान जाओगे। सूक्ष्म बुद्धि से तत्व का निर्णय होगा। प्रमाण विशाल बुद्धि है,नय छोटी बुद्धि है।

आचार्य श्री ने कहा कि कमरे में बैठकर बातें सुनना बुद्धि को भ्रष्ट करना होता है। कुछ लोग कमरे में बैठाकर ही बातें करते हैं। चार आदमी जब आपको घेरते हैं,कमरे में बैठाकर कंधे में हाथ रख कर बातें करते हैं,समझ लेना तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट होने का समय आ गया है। बंधन में पड़ने से विशालता नष्ट हो जाती है। यदि आप को सुरक्षित रहना हो तो कोई हाथ पकड़ कर कंधे में हाथ रखकर बात करें, तुम समझ लेना फंसने वाले हो। 

आचार्य श्री ने कहा कि कभी-कभी संज्ञाओं से भी समझ में नहीं आता है। संज्ञा अर्थात नाम। एक संज्ञा के 4 लोग बैठे हैं तो विशेषण लगाना पड़ता है। संज्ञा नहीं दी और विशेषण जोड़ दिया तो संशय होगा। संज्ञा का प्रयोग नहीं करोगे तो विशेषण काम नहीं आएंगे। शब्द और ज्ञान के अभाव में अर्थ का अनर्थ जीव करता है। 

मुनिश्री प्रणेय सागर ने कहा कि हमने जैसे कर्म किए हैं हमें उनके विपकों को झेलना पड़ेगा। आज तुम जो प्रति क्षण कर रहे हो,अपने कर्मों का बंध कर रहे हो। पता कैसे चले जो कर रहे हो सत्य है या असत्य। उससे पुण्य का बंध होगा या पाप का। मार्ग कौन सा सही है कौन सा गलत है। इसके लिए पहले अपने आप को जानें। जीवन में लक्ष्य होना चाहिए,यदि है तो आप उसे प्राप्त कर सकते हो,यदि नहीं है तो जीवन में कहां जाओगे। यहां आए हो तो प्रवचन सुनने से पापों का गलन होगा। दूर-दूर से लोग यहां आए हैं पापों का गलन करने ही आए हैं।

मंच संचालक अरविंद जैन वह दिनेश काला ने बताया कि आज सर्वप्रथम मंगलाचरण पीयूष ने किया। इसके बाद दीप प्रज्वलन सुभाष चंद्र,नीरज पुजारी भिंड, अनिल पहाड़े हैदराबाद,पंडित प्रमोद हैदराबाद,अक्षय हैदराबाद, नाथूलाल अहमदाबाद, नरेश दिल्ली, मनीष अहमदाबाद,ज्ञानचंद्र भिलाई, नरेश पाटनी रायपुर ने किया। कार्यक्रम के अंत मे जिनवाणी मां की स्तुति की गई। अर्घ्य समर्पण दिल्ली, हैदराबाद, गया ,इंदौर ,भोपाल ,भिंड, अहमदाबाद ,भिलाई ,दुर्ग,उज्जैन से आए सभी गुरु भक्तों सहित सकल दिगंबर जैन समाज रायपुर से उपस्थित गुरु भक्तों ने किया।

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