मेडिटेशन से मिलती है मानसिक तनाव से मुक्ति, दृष्टिकोण होता है सकारात्मक: अनुसुइया उइके

राजभवन में आयोजित ध्यान-सत्र में शामिल हुईं राज्यपाल

रायपुर । राजभवन के दरबार हॉल में गुरू पूर्णिमा के अवसर पर विशेष ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। इस ध्यान सत्र में राज्यपाल अनुसुईया उइके ने राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह बड़ी खुशी की बात है कि गुरू पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर स्वामी महेश के सान्निध्य में यह मेडिटेशन शिविर का आयोजन किया गया है। उन्होने कहा कि ध्यान और योग हमारी प्राचीन संस्कृति की देन है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी यह वर्णित है कि हमारे ऋषि-मुनि लंबे समय तक तपस्या कर अपनी आत्मिक शक्ति को जागृत करने के लिए योग किया करते थे। उन्होने कहा कि मेडिटेशन वह तपस्या है, जिससे हम अपने अंदर की ऊर्जा को जागृत कर सकते हैं।



राज्यपाल उइके ने कहा कि आधुनिक भाग-दौड़ भरी जिंदगी से हम कई तरह के मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। इससे अनेक बीमारियों की गिरफ्त में हम आ रहे हैं। युवा कम उम्र मे ही मानसिक अवसाद के दौर से गुजर रहे हैं। कोरोना काल में तो यह स्थिति और भी अधिक गंभीर हो गई हैं।

राज्यपाल उइके ने कहा कि जिंदगी की ऐसी तमाम मानसिक परेशानियों का मेडिटेशन से समाधान किया जा सकता है। मेडिटेशन ही इसकी ऐसी दवाई है, जो इसे पूरी तरह से ठीक कर सकती है। मेडिटेशन हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है। इसके निरंतर अभ्यास से हम जीवन के तमाम तनाव और निराशाजनक स्थितियों से मुक्ति पा सकते हैं। यह हमारे दृष्टिकोण को सकारात्मक कर, हमें आशावादी बनाता है। वास्तव में यह मेडिटेशन हमारी ऊर्जा को ईश्वर से जोड़ता है।



उन्होने कहा कि यदि हमें स्वस्थ जीवन यापन करना है तो अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर योग और ध्यान करना चाहिए। इसी के सहायता से हम मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे और अपने कर्तव्यों का अच्छे से निर्वहन कर पाएंगे।



योगी स्वामी महेश ने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग,प्राणायाम तथा ध्यान बेहद आवश्यक है। इनके द्वारा हम शरीर के ऊर्जा के संतुलन को बनाये रख सकते है। उन्होने कहा कि योग व ध्यान के माध्यम से हम अपने मन को नियंत्रित और स्वच्छ कर सकते हैं। स्वामी महेश ने शरीर के सात चक्रों के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि योग साधना से इन चक्रों को जागृत कर हम अपनी शारीरिक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा स्वामी महेश ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अष्टांग योग के बारे में जानकारी देते हुए सभी से योग और ध्यान करने की अपील की ताकि हम एक बेहतर समाज बना सकें।

इस ध्यान सत्र में डॉ. अनिल गुप्ता ने हमारे प्राचीन वैदिक विज्ञान के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आधुनिक चिकित्सा पद्धति  आवश्यक है, परन्तु हमारे शरीर की ऊर्जा, उसकी क्षमता में वृद्धि करने के लिए योग और ध्यान अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि हमारे शरीर के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का एक आभामंडल होता है, जिसे योग साधना के द्वारा संतुलित रखा जा सकता है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि चिप्स, गुटखा, शराब, तंबाकु जैसे उत्पादों के सेवन से हमारे शरीर का यह आभामंडल बुरी तरह प्रभावित होता है और हमारी क्षमता क्षीण होती है।

कार्यक्रम में राज्यपाल उइके ने योगी स्वामी महेश को स्मृति चिन्ह एवं गमछा पहनाकर सम्मानित किया। स्वामी महेश ने भी राज्यपाल उइके को गमछा पहनाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव अमृत कुमार खलखो, राज्यपाल के विधिक सलाहकार राजेश श्रीवास्तव, राज्यपाल के उप सचिव दीपक कुमार अग्रवाल सहित राजभवन के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

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