भूपेश कैबिनेट की अहम बैठक 14 जुलाई को

रायपुर। 14 जुलाई को भूपेश कैबिनेट की अहम बैठक 14 जुलाई को होगी. मुख्यमंत्री निवास में दोपहर 12 बजे बैठक होगी. कैबिनेट में मछुआ नीति को मंजूरी मिल सकती है. इसके साथ ही ट्रांसफर पॉलिसी पर भी चर्चा होने की संभावना है. आगामी मानसून सत्र को लेकर भी चर्चा हो सकती है. 20 जुलाई से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है.

राज्यपाल उइके ने छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण (संशोधन) विधेयक 2022 पर किए हस्ताक्षर

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम 2002 (क्र. 21 सन् 2002) में संशोधन के लिए प्रस्तुत विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं। छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण (संशोधन) विधेयक 2022 के अनुसार छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम 2002 (क्र. 21 सन् 2002) की धारा 04 की उपधारा (2) के खण्ड (पांच), मूल अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (1) में, मूल अधिनियम की धारा 7 की उप-धारा (1), मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (2) तथा मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (3) में संशोधन किया गया है।

विधेयक में छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम 2002 के मूल अधिनियम की धारा 04 की उपधारा (2) के खण्ड (पांच) को प्रतिस्थापित करके नगर तथा ग्राम निवेश विभाग का जिले का प्रभारी अधिकारी/संयुक्त संचालक/उपसंचालक/सहायक संचालक किया गया हैै। अधिनियम के खण्ड(चार)(क) में निर्धारित प्रयोजन से भिन्न भूमि के उपयोग परिवर्तन करने पर उस क्षेत्र की भूमि के लिए वर्तमान में प्रचलित कलेक्टर गाईड लाईन दर का 5 प्रतिशत अतिरिक्त शास्ति लगाने का प्रावधान किया गया है। अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि यदि अनधिकृत विकास निर्धारित पार्किंग हेतु आरक्षित भूखण्ड / स्थल पर किया गया हो, तो नियमितिकरण की अनुमति तभी दी जायेगी, जब आवेदक द्वारा पार्किंग की कमी हेतु निर्धारित अतिरिक्त शारित राशि का भुगतान कर दिया गया हो।

अधिनियम में कहा गया है कि दिनांक 01.01.2011 के पूर्व अस्तित्व में आये ऐसे अनधिकृत विकास/निर्माण, जिनकी भवन अनुज्ञा/विकास अनुज्ञा स्वीकृति हो, अथवा ऐसे अनधिकृत भवन, जिसके लिए संबंधित स्थानीय निकाय में शासन द्वारा निर्धारित दर से संपत्ति कर का भुगतान किया जा रहा हो, ऐसे भवनों में, यदि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 अथवा संबंधित नगर के विकास योजना के अनुरूप पार्किंग उपलब्ध नहीं है, तो पार्किंग हेतु निम्नानुसार अतिरिक्त शास्ति राशि दिये जाने पर, भवन का नियमितिकरण इस प्रकार किया जा सकेगा कि पार्किंग में 25 प्रतिशत कमी होने पर प्रत्येक कार स्थान हेतु पचास हजार रूपये, 25 प्रतिशत से अधिक एवं 50 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु एक लाख रूपये,50 प्रतिशत से अधिक एवं 100 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु दो लाख रूपये का प्रावधान किया गया है।

नए प्रावधानों के अनुसार दिनांक 01.01.2011 अथवा उसके पश्चात् अस्तित्व में आये ऐसे अनधिकृत विकास / निर्माण, जिनकी भवन अनुज्ञा/विकास अनुज्ञा स्वीकृति हो, अथवा ऐसे अनधिकृत भवन, जिनके लिए संबंधित स्थानीय निकाय में शासन द्वारा निर्धारित दर से संपत्ति कर का भुगतान किया जा रहा हो, ऐसे भवनों में, यदि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियग, 1984 अथवा संबंधित नगर के विकास योजना के अनुरूप पार्किंग उपलब्ध नहीं है, तो पार्किंग हेतु अतिरिक्त शास्ति राशि दिये जाने पर, भवन का नियमितिकरण इस प्रकार किया जा सकेगा कि पार्किंग में 25 प्रतिशत तक कमी होने पर प्रत्येक कार स्थान हेतु पचास हजार रूपये, 25 प्रतिशत से अधिक एवं 50 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु एक लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। खण्ड (चार) में कहा गया है कि शमन योग्य पार्किंग की गणना इस प्रकार की जायेगी कि 500 वर्ग मीटर तक आवासीय क्षेत्र में पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर निरंक होगी जबकि 500 से अधिक क्षेत्र होने पर पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर 50 प्रतिशत होगी।

गैर आवासीय क्षेत्र में पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर निरंक होगी जबकि 500 से अधिक क्षेत्र होने पर पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर 50 प्रतिशत होगी। प्रावधान में कहा गया है कि (ग) ऐसी गैर लाभ अर्जन करने वाली सामाजिक संस्थायें, जो लाभ अर्जन के उद्देश्य से स्थापित न की गई हो, के अनधिकृत विकास के प्रत्येक प्रकरण में शास्ति प्राक्कलित राशि के 50 (पचास प्रतिशत की दर से देय होगा ।

छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 के नियम 39 में निर्धारित प्रावधान के अनुसार, मार्ग की चौड़ाई उपलब्ध नहीं होने के कारण, स्थल पर विद्यमान गतिविधियों में किसी प्रकार का लोकहित प्रभावित न होने की स्थिति में, नियमितीकरण किया जा सकेगा। इसके अलावा मूल अधिनियम की धारा 7 की उप-धारा (1) के खण्ड (तीन) का लोप किया गया है। मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (2) में, शब्द ”अपील के लंबित रहने की अवधि में अपीलकर्ता अनधिकृत विकास के मासिक भाड़े की राशि, जैसा कि प्राधिकारी द्वारा निर्धारित की जावे, नियमित रुप से जमा करेगा.” के स्थान पर, शब्द ”अपील के लंबित रहने की अवधि में अपीलकर्ता द्वारा अनधिकृत विकास के मासिक भाड़े की राशि, जो एक वर्ष से अनधिक अवधि का देय होगा, जैसा कि प्राधिकारी द्वारा निर्धारित की जाये, नियमित रूप से जमा करेगा। यह प्रावधान समस्त लम्बित एवं नवीन प्रकरणों पर प्रभावशील होगा” से प्रतिस्थापित किया गया है।

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