छत्तीसगढ़ सरकार ने बच्चों को नशे की आदत से बचाव को गंभीरता से लिया है। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा लगातार पाम्पलेट, कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वहीं बच्चों को नशे की लत से दूर करने प्रभावी उपायों के लिए विचार-मंथन किया जा रहा है। इसी कड़ी में बीते दिनों मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में ‘बच्चों का नशे की आदत से बचाव चुनौतियां व समाधान’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री ने यहां छत्तीसगढ़ में बच्चों के स्वस्थ्य और समुचित विकास के लिए प्रतिबद्धता दिखाई और नशे के खिलाफ अभियान को विस्तार देने की बात कही। मुख्यमंत्री नशे के प्रति जागरूकता बनाने ब्रोशर और ‘लइका मन के गोठ’ पुस्तिका भी लोगों के समक्ष लेकर आए।
मोबाइल के लगातार प्रयोग व नशे के दुष्परिणाम :
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मोबाइल के विद्युत चुम्बकीय विकिरण के कारण मस्तिष्क की गतिविधियों में सुस्ती, निष्क्रियता आती है और बच्चों का व्यवहार विचलित दिखाई देता है। बच्चों की प्राकृतिक दिनचर्या में बदलाव आ जाता है। जैसे कि बच्चे सुबह उठकर काफी समय मोबाइल देखने में व्यतीत कर देते हैं, जबकि उस समय उनसे नित्यकर्म जैसे मंजन, स्नान आदि करने की अपेक्षा होती है। बच्चों की शारीरिक रूप से कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है क्योंकि वे मोबाइल पकड़कर एक स्थान पर बैठे रहते हैं। देर रात तक मोबाइल देखने के कारण नींद पूरी नहीं होती है और उनमें चिड़चिड़ापन आता है व अशांत स्वभाव बढ़ता है।
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