दुलारी लक्ष्मी अभियान : सिकल सेल बीमारी व एनीमिया की हो रही जांच

अब तक 30,000 से अधिक लोगों की हुई जांच

चिन्हांकित एनीमिक और सिकल सेल पॉजिटिव मरीजों का शुरू हुआ उपचार


गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही, 8 जुलाई (वेदांत समाचार)। स्वस्थ्य जीवन के लिए पौष्टिक और संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है। लोग सुपोषित आहार के बारे में कम जागरूक हैं, जिससे खून से संबंधित बीमारियां जैसे एनीमिया और सिकल सेल बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसको देखते हुए ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं और महिलाओं के लिए विशेष “दुलारी लक्ष्मी अभियान” (एनीमिया एवं सिकल सेल जांच) की शुरूआत की गई है। अभियान के तहत अब तक 30,000 से अधिक बालिकाओं व महिलाओं की जांच कर, चिन्हांकित मरीजों का उपचार किया जा रहा है।


स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से सिकलिंग एवं एनीमिया की जांच के साथ ही ग्रामीणों को पौष्टिक आहार के फायदे, शरीर में आयरन एवं अन्य तत्वों की महत्ता एवं इनकी कमीं से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी भी प्रदान की जा रही है। इस संबंध में जानकारी देते हुए ग्राम कार्यक्रम प्रबंधक (जीपीएम) नीलू धृतलहरे ने बताया: “दुरस्त ग्रामीण अंचल की महिलाओं और बालिकाओं में पौष्टिक आहार एवं खान-पान के प्रति जागरूकता की कमीं देखी जाती है। इसकी वजह से सिकलिंग जैसी अनुवांशिक बीमारी के कारण एनीमिया (खून की कमीं ) की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसलिए क्षेत्र में जागरूकता लाने के उद्देश्य से कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी के मार्गदर्शन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. देवेन्द्र पैकरा के नेतृत्व में अप्रैल 2022 से जिले में एनीमिया एवं सिकलिंग जांच हेतु “दुलारी लक्ष्मी
अभियान” (एनीमिया एवं सिकलिंग जांच) प्रारंभ किया गया है। इस अभियान के तहत 10 से 18 वर्ष तक के बालक एवं बालिकाओं तथा 19 से 49 वर्ष की पुरूषों एवं महिलाओं का एनीमिया तथा सिकलिंग की जांच और उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। यह जांच मितानिन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से स्वास्थ्य केन्द्रों एवं आंगनबाड़ी
केन्द्रों में की जा रही है। “

30 जून 2022 तक जांच की स्थिति – इस अभियान के तहत अब तक यानि 12 अप्रैल 2022 से 30 जून 2022 तक 10 से 49 वर्ष तक के कुल 30,778 बालक/बालिकाओं तथा पुरूषों/महिलाओं की एनीमिया की जांच हुई। जिसमें 7 ग्राम से कम 30 व्यक्तियों तथा 7 से 10 ग्राम के बीच 1,684 एनीमिक महिलाओं को उपचार के लिए चिन्हांकित किया गया। वहीं
22,635 लोगों की सिकलिंग जांच हुई, जिसमें 319 सिकलिंग पॉजिटिव पाए गए जिन्हें उपचार के लिए चिन्हांकित किया गया है।


सिकलिंग या सिकल सेल बीमारी और लक्षण- सिकलिंग खून से जुड़ी बीमारी है जो शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं को प्रभावित करती है और यह आमतौर पर माता-पिता से बच्चों में वंशानुगत मिलती है। यह बीमारी बच्चे के जन्म के 5 या 6 महीने के बाद से ही दिखनी शुरू हो जाती है। इस बीमारी की जल्द से जल्द पहचान हो जाए और उचित चिकित्सीय देखभाल मिले तो इसको सही तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। शरीर में तेज दर्द एवं ऐंठन, बैक्टीरियल संक्रमण होना, हाथों और पैरों में सूजन, एनीमिया, दृष्टि संबंधी समस्याएं, हड्डियों में कमजोरी आदि लक्षण दिखने पर फौरन सिकलिंग की जांच कराकर चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। एनीमिया और उपचार- एनीमिया होने पर शरीर में आयरन की कमी होने लगती है और इस वजह से रक्त में हीमोग्लोबिन बनना कम हो जाता है। इसकी वजह से शरीर में खून की कमी होती है। हमेशा
थकान महसूस होना, उठने और बैठने पर चक्कर आना, स्किन और आंखों में पीलापन, सांस लेने में परेशानी, दिल की धड़कन सामान्य से अधिक धड़कना, हथेलियों और तलवों का ठंडा होना आदि लक्षण दिखने पर फौरन एनीमिया की जांच करानी चाहिए। साथ ही हरे पत्तेदार सब्जियां, अंडा , पनीर, दूध-फल का सेवन करना चाहिए।