रायपुर। राष्ट्रपति पद के लिए देश के विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा शुक्रवार को रायपुर आए। जहां एक होटल में उन्होंने मीडिया से बात की। इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल साथ थे। इस कॉन्फ्रेंस में सिन्हा बोले- मैं यहां अपने अभियान के तहत आया हूं। हमने इसकी शुरूआत दिल्ली से बेहद दूर की जगह केरल तिरुअंनतपुरम से की। वहां हमें 100 प्रतिशत वोट मिल रहे हैं। केरल सेक्युलर जगह है। सब लोग मेरे साथ हैं।
सिन्हा ने कहा कि- आज देश में जो हालात हैं, देश को खामोश राष्ट्रपति नहीं चाहिए। ऐसे भी लोग इस पद पर आए जिन्होंने इसकी शोभा बढ़ाई है। जो राष्ट्रपति पद पर जाए वो अपने संवैधानिक दायित्वों को निभाए। राष्ट्रपति का एक अधिकार जो है वो ये है कि वो सरकार को मशवरा दे सकता है। वो अगर पीएम हाथ में कठपुतली होंगे तो ऐसा नहीं करेंगे। इसलिए अगर मैं इस चुनाव में हूं तो इस आशा और विश्वास के साथ मैं ये जिम्मा निभाउंगा। इसमें सरकार से टकराव की बात नहीं है, लेकिन सलाह-मशवरा हो सकता है।
भाजपा नेताओं से सिन्हा बोले
मुझे जो भी दल समर्थन दे रहे हैं मैं सभी का आभारी हूं। उसके अलावा भाजपा के जो हमारे मित्र हैं, जो पुराने साथी हैं उन्हें अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए, लकीर का फकीर न बनें । ये लड़ाई विचारधारा की है संवैधानिक मूल्यों को बचाने और उसे नष्ट करने वालों के बीच की है।
जब आया राजनाथ सिंह का फोन
राष्ट्रपति पद के लिए केंद्र सरकार ने भी सिन्हा से संपर्क साधा था। रायपुर में सिन्हा ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि औपचारिकता के लिए केंद्र सरकार के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुझे फोन किया था। उन्होंने कहा कि एक राय होनी चाहिए। मगर इसके बाद उन्होंने पहल नहीं की। फिर केंद्र के जो विपक्षी दल हैं उनकी मीटिंग्स हुईं, अंतत: मुझसे पूछा कि क्या मैं साझा उम्मीदवार बनूंगा, मैंने हां कह दी। कुछ देर बाद केंद्र ने अपने उम्मीदवार का एलान कर दिया।
छत्तीसगढ़ से गहरा नाता है
सिन्हा ने आगे कहा- छत्तीसगढ़ से मेरा गहरा संबंध है। वो संबंध ये कि आज से करीब 60 साल पहले मैं यहां भिलाई आया था, यहां मेरी शादी हुई थी तो इसलिए बराबर छत्तीसगढ़ से मैं विशेष लगाव महसूस करता हूं, आनंद आता है। राष्ट्रपति का पद गरिमा का पद है, अच्छा तो ये होता कि इस पद के लिए चुनाव नहीं होते। सर्व सम्मति से सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर किसी को तय कर देते, सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुना जाता।
ED की कार्रवाई पर बोले सिन्हा
सरकार में होते हमारे दिल में कभी दूर-दूर तक ये ख्याल भी नहीं आया कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ ईडी का इस्तेमाल करूं । आज सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का नंगा नाच हो रहा है इससे निकृष्ट काम दूसरा कोई नहीं हो सकता है। कुछ लोग पहले मेरे समर्थन में थे पर अब जो नहीं दिखाई दे रहे शायद उसका कारण भी यही है।
मीडिया ने आडवाणी से समर्थन मांगने का सवाल पूछा तो सिन्हा बोले- आडवाणी जी वयोवृद्ध है और अभी बीमारी के दौर में किसी से नहीं मिल रहे हैं। उनकी बेटी से बात हुई है फोन पर । धारा 124 पर सिन्हा बोले कि मेरा मानना है कि इसे हमारी कानून व्यवस्था का अंग नहीं होना चाहिए । सरकार का ये काम है राष्ट्रपति का नहीं मैं सिर्फ मशवरा दे सकता हूं राष्ट्रपति बनने के बाद । मेरी प्रथमिकता संविधान में जो सही है उसमें रहेगी ।
सिन्हा का रहा है BJP से नाता
यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर 1937 को पटना के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उन्होंने राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। इसके बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में 1960 तक बतौर शिक्षक काम किया। 1960 में IAS बने। 24 साल तक नौकरी की। फिर नौकरी छोड़कर उन्होंने 1986 में जनता पार्टी ज्वॉइन कर कर ली। साल 1989 में उनकी पार्टी का जनता दल से गठबंधन होने के बाद उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया। फिर वह 1998 से साल 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे। उन्होंने 2002 में विदेश मंत्रालय का पद भी संभाला। यशवंत सिन्हा ने 2009 में भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। साल 2018 में बीजेपी छोड़ने के बाद 2021 में वह ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी में शामिल हो गए थे।
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