एमएसएमई से ही आत्मनिर्भऱ बनेगा भारत : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को सशक्त बनाने पर जोर देते हुए कहा कि एमएसएमई के विस्तार से ही भारत आत्मनिर्भर बनेगा। उन्होंने कहा कि पिछले आठ साल में सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को मजबूती देने के लिए बजट में 650 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोत्तरी की है।

प्रधानमंत्री गुरुवार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के ”उद्यमी भारत” के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इससे पहले एमएसएमई से जुड़ी दो योजनाओं ”राइजिंग एंड एक्सेलरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस” (रैंप) और ”पहली बार के एमएसएमई निर्यातकों की क्षमता निर्माण” (सीबीएफटीई) योजना का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) से जुड़ी नई सुविधाएं भी लॉन्च की।

प्रधानमंत्री ने एमएसएमई सेक्टर से जुड़े उद्यमियों को सरकारी क्षेत्र में सामान की आपूर्ति के लिए जीईएम पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का एक्सपोर्ट लगातार बढ़े, भारत के प्रॉडक्ट्स नए बाजारों में पहुंचें इसके लिए देश के एमएसएमई सेक्टर का सशक्त होना बहुत जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस सेक्टर की असीम संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है और नई नीतियां बना रही है। उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को भारत की विकास यात्रा का बड़ा आधार बताते हुए कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी एमएसएमई सेक्टर की है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर को मजबूती देने के लिए पिछले आठ साल में सरकार ने बजट में 650 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोत्तरी की है। उन्होंने कहा कि भारत आज अगर 100 रुपये कमाता है तो उसमें 30 रूपये एमएसएमई सेक्टर से आते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की अर्थव्यवस्था की गति को देखकर प्रभावित है और इस गति में बहुत बड़ी भूमिका एमएसएमई सेक्टर की है। इसलिए एमएसएमई आज माइक्रो इकनॉमी की मजबूती के लिए भी जरूरी है। आज भारत जितना निर्यात कर रहा है, उसमें बहुत बड़ा हिस्सा एमएसएमई का है।

प्रधानमंत्री ने वैश्विक महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि जब 100 साल का सबसे बडा संकट आया तो सरकार ने छोटे उद्यमों को बचाने के साथ ही उन्हें नई ताकत देने का भी फैसला किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए की मदद एमएसएमई के लिए सुनिश्चित की।

उन्होंने कहा कि अगर कोई उद्योग आगे बढ़ना चाहता है, विस्तार करना चाहता है, तो सरकार न केवल उसे सहयोग दे रही है, बल्कि नीतियों में जरूरी बदलाव भी कर रही है। उन्होंने कहा कि

अब पहली बार खादी और ग्रामोद्योग का टर्नओवर 1 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंचा है। ये इसलिए संभव हुआ है क्योंकि गांवों में छोटे-छोटे उद्यमियों ने बहुत परिश्रम किया है। बीते 8 वर्षों में खादी की बिक्री 4 गुणा बढ़ी है।

उद्यमशीलता को हर भारतीय के लिए सहज बनाने में मुद्रा योजना की बहुत बड़ी भूमिका है। बिना गांरटी के बैंक लोन की इस योजना ने महिला उद्यमियों, दलित, पिछड़े, आदिवासी उद्यमियों का एक बहुत बड़ा वर्ग देश में तैयार किया है।

प्रधानमंत्री ने पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हम कैसे बदलाव लाए हैं, इसका एक उदाहरण प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम भी है। उन्होंने कहा कि 2008 में जब देश और पूरी दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में था, तब इस योजना को लागू किया गया था और दावा किया गया था कि अगले चार वर्षों के दौरान लाखों रोजगार तैयार किए जाएंगे।

इस मौके पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री नारायण राणे ने अपने स्वागत भाषण में आयात पर निर्भरता कम करने और निर्यात को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर बनाने में एमएसएमई की भूमिका को रेखांकित किया। कार्यक्रम में एमएसएमई राज्य मंत्री भानू प्रताप सिंह सहित अन्य लोग भी मौजूद थे।

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