कोरबा, 01 जून (वेदांत समाचार) मनुष्य का जीवन अनेक उतार-चढ़ाव से होकर गुजरता है। उसकी नवजात शिशु अवस्था से लेकर विद्यार्थी जीवन फिर गृहस्थ जीवन तत्पश्चात मृत्यु तक वह अनेक प्रकार के अनुभवों से गुजरता है। अपने जीवन में वह अनेक प्रकार के उत्तरदायित्वों का निर्वाह करता है। परंतु अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्य व उत्तरदायित्वों को वह जीवन पर्यन्त नहीं चुका सकता। माता-पिता का संतान पर असीमित उपकार होते हैं। इस उपकार की भरपाई करना असंभव है।
माँ की ममता व स्नेह तथा पिता अनुशासन किसी भी मनुष्य के व्यक्तित्व निर्माण में सबसे अहम भूमिका रखते हैं।
हिंदु धर्म में माता-पिता को भगवान का रुप माना जाता है एक शिशु जो कुछ भी सीखता है सबसे पहले अपने माता- पिता से सीखता है। ना सिर्फ हिंदु धर्म में बल्कि विष्व के हर क्षेत्र हर समाज और हर राज्य में माता-पिता को सम्मान दिया जाता है। माँ को बच्चों का पहला गुरु माना जाता है और पिता को दूसरा गुरु माना जाता है। इसीलिए तो कहा जाता है-माताः पिताः गुरु दैवं।
माता-पिता हमारा ख्याल रखते हैं और बचपन से लेकर बड़े होने तक बिना कोई स्वार्थ के वे हमारी हर बातों का ध्यान रखते हैं।न जाने कितनी रातों की नींद और दिन का चैन उन्होंने हमारे लिए गंवाए होंगे।हमारा कर्तव्य होता है कि हम अपने माता-पिता का सम्मान करें और साथ ही ताउम्र उनका ख्याल रखें।
कहा जाता है कि भगवान हर किसी के घर नहीं आ सकते इसलिए अपने प्रतिरुप के स्वरुप माता-पिता को हर किसी के घर भेजते हैं। माता-पिता की महिमा को शब्दों में बाँधना नामुमकिन है। कहा जाता है जहाँ सारा संसार सिमट जाता है वह स्थान माँ का आँचल होता है।
दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में माता-पिता के इसी सदा और शाश्वत महत्व को बरकरार रखने व माता-पिता का जीवन में महत्व बताने के उद्देश्य से ऑनलाइन ‘ग्लोबल डे ऑफ पैरेन्टस’ का आयोजन किया गया। नर्सरी कक्षा से लेकर कक्षा आठवीं तक के लगभग सभी विद्यार्थियों के माता-पिता ने इस कार्यक्रम का आमंत्रण स्वीकार कर ऑनलाइन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए । ऑनलाइन के इस कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों ने अपने माता-पिता के माथे पर तिलक लगाकर एवं दीपक जलाकर एवं पुष्प अर्पित कर विधिवत रुप से पूजन कर किया। सभी बच्चों ने माता-पिता के चरण छूकर आशिर्वाद लिया।
आनलाइन कार्यक्रम में अभिभावक राजवीर नरवाल कहा कि माता-पिता के द्वारा अपने बच्चों के लिए उठाए जाने वाले कष्टों को केवल माता-पिता बनकर ही अनुभव किया जा सकता है। अन्य अभिभावक प्रदीप बारीक कहा कि माता-पिता जीवन में सिर्फ एक बार ही मिलते है और इनकी तुलना दुनिया के किसी भी वस्तु से नहीं की जा सकती, ये अनमोल हैं।
प्री-प्रायमरी शिक्षिका श्रीमती रूमकी हलदर ने कहा कि हम जीवन पथ पर चाहे कितनी भी ऊँचाई पर पहुँचें हमें कभी भी अपने माता-पिता का सहयोग, उनके त्याग और बलिदान को नहीं भूलना चाहिए।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने आगंतुक सभी अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि आज संसार में यदि हमारा कुछ भी अस्तित्व है या हमारी इस जगत में कोई भी पहचान है तो उसका संपूर्ण श्रेय हमारे मात-पिता को ही जाता है। यही कारण है कि भारत के आदर्ष पुरुषों में से ऐसे ही भगवान श्री राम ने अपने माता-पिता के एक आदेश पर ही युवराज पद का मोह त्याग दिया और घर चले गए। माता-पिता सदैव हमें सद्मार्ग में चलने की प्रेरणा देते हैं।
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