भिलाई । टिकिट बारी प्रोडक्शन कंपनी एबी फिल्म इंटरटेनमेंट के बेनर बले एवं सुदर्शन गमारे के निर्देशन में रियल स्टोरी मुंबई बम ब्लास्ट पर बनी हिन्दी फिल्म “हिमोलिम्फ द इनविजिबल ब्लड” पूरे देश के सभी राज्यों के साथ ही छत्तीसगढ के रायपुर एवं भिलाई के सिविक सेंटर स्थित मिराज सिनेमा में प्रदर्शित हुई है, जिसे देखने बड़ी संख्या में दर्शक उमड़ रहे है, और दर्शक सिनेमा हाल से निकलने के बाद इस फिल्म की भूरि भूरि इस बात की प्रशंसा कर रहे हैं।
इस फिल्म के प्रमुख नायक वाहिद (रियाज अनवर) जिनकी ये पहली फिल्म है और वे पेशे से डॉक्टर है, और वे कभी भी किसी भी ना ही नाटक में काम किये है और ना ही कही से एक्टिंग सीखे है, इसके बावजूद उन्होंने इतना बेहतरीन अभिनय किया है कि फिल्म देखने वाले सभी दर्शक उनके अभिनय का कायल तो हुये ही है इस बात पर भी दर्शक गर्व महसूस कर रहे हैं कि डॉ. रियाज अनवर अपने छत्तीसगढ के रायपुर के है, उनकी शिक्षा दीक्षा पूरी रायपुर में हुई है। और वे इस फिल्म से बॉलीवुड में डूब्यू किये है।
वहीं दूसरी प्रशंसा इस बात की लोग कर रहे है कि आज के व्यवसायिक दौर में बॉबी खान ने ऐसे रियल स्टोरी पर फिल्म बनाई है, जो बहुत बड़ा रिस्क था। जैसे ही लोगों को पता चल रहा है कि मुंबई बम ब्लास्ट के रियल स्टोरी पर यह फिल्म बनी है और अच्छी बनी हो तो लोग सिमेना हाल तक खीचें चले आ रहे है। इस फिल्म को आम दर्शक तो देखने आ ही रहे है खास बात यह है कि इसे देखने जहां छत्तीसगढी फिल्मों के कलाकार, निर्देशक सहित छॉलीवुड से जुड़े हुए लोग, सात्यिकार, पत्रकार एवं बुद्धिजीवी वर्ग भी इसे देखने पहुंच रहे है और लोगों को भी यह बता रहे है कि एक अर्से के बाद इतनी अच्छी रियल स्टोरी पर बनी फिल्म आई है, इसे जरूर देंखे।
इस फिल्म में जहां प्रमुख नायक रियाज अनवर ने वाहिद का रोल तो बेहतरीन किये ही है, इसके अलावा रूचिरा जाधव-साजिदा शेख वाहिद की पत्नी, रोहित कोकाटे-जावेद शेख, निलम कुलकर्णी-वाहिद की मां, दत्ता जाधव-वाहिद के पिता, साएली बन्डकर जावेद की पत्नी के साथ ही इसमें जेल का हवलदार सहित इस फिल्म के सभी कलाकारों के बेहतरीन अभिनय किया है।
इस फिल्म के माध्यम से पैसा कमाना नही सच्चाई से आम जनता को कराना था रू-ब-रू-बॉबी खान
फिल्म के निर्माता बॉबी खान ने हमारे संवाददाता को बताया कि मुंबई बम ब्लॉस्ट कांड में वास्तविक घटना और उसमें पुलिस द्वारा किस तरह बेगुनाहों को थाने में लाकर और निर्दयतापूर्वक पिटाई कर और उनके परिवार के लोगों को जान से मारने व इनकाउंटर की धमकी देकर जबरिया अपराध कबूल करवाने से लेकर समाज के एक वर्ग को किस प्रकार से बदनाम किया जा रहा है, इसकी सच्चाई समाज के सामने लाना उद्देश्य था। यह पहली बार ऐसा नही हुआ है,एक ओर हमारा कानून कहता है कि भले कोई अपराधी छूट जाये लेकिन किसी बेगुनाह को पुलिस अपराधी न बनाये लेकिन हमारे देश में ये आये दिन होता रहता है कि पुलिस अपनी नाकामी को छिपाने व राजीनीति दबाव के कारण तथा उपरी कमाई और अपराधियों से सांठगांठ के कारण अपराध करने वाले मुजरिमों को छोड़कर बेगुनाहों को जेल में डाल देती है और उनका और उनके परिवार का पूरा कैरियर बर्बाद कर देती है। इस फिल्म से पैसा कमाना मेरा मकसद नही था मेरा मकसद था कि सच्चाई लोगों तक
बम ब्लॉस्ट के सभी पहलुओं का बारीकी से तहकीकात करने के बाद लिखा इसका स्क्रिप्ट-निर्देशक गमारे
फिल्म के निर्देशक सुदर्शन गमारे ने बताया कि यह फिल्म बनाना बहुत ही रिस्की था,पहले इस घटना के बारे में बारीकी से तहकीकात किया उसके बाद इस फिल्म मे केस डायरी सेशन कोट, हाईकोर्ट और सुप्र्रीम कोट का फैसला के साथ ही पुलिस द्वारा एक बेगुनाह शिक्षक सहित कई बेगुनाओं को किस तरह से फंसाया गया। एक एक चीज का बेहद बारीकी से तहकीकात करने के बाद इस फिल्म का स्क्रिप्ट लिखा और बनाया । फिल्म के नायक रियाज अनवर (फिल्म में वाहिद) ने तो कमाल ही कर दिया, वे वास्तव में बहुत ही प्रतिभावाना, सिन्सीयर और सर्पोटिंग नेचर वाले कलाकार है। हालांकि इस फिल्म से अनवर ने डेब्यू किया है लेकिन उनके साथ काम करते समय कही से नही लगा कि वे नॉन एक्टर होने के बाद भी एक दम नेच्युरल एक्ट किये है।
यह फिल्म एक शिक्षक के संघर्ष पर आधारित है। फिल्म का प्रमोशन जेल रोड स्थित होटल में किया गया। फिल्म 27 मई को पूरे भारत में 250 सेंटर में रिलीज की जाएगी।
निर्देशक सुदर्शन गामारे ने बताया कि एबी फिल्म्स इंटरटेनमेंट के तहत बनी फिल्म के निर्माता बाबी खान और टिकट बारी हैं। वे स्वयं पहली बार निर्देशन कर रहे हैं। फिल्म की कहानी 11 जुलाई 2006 को मुंबई मेें ट्रेन मेें बम विस्फोट के साथ शुरू होती है। शिक्षा की मशाल थामे, नई पीढिय़ों को ज्ञान बांटने वाले एक शिक्षक वाहिद शेख की मुंबई घटना के बाद गिरफ्तारी होती है।
इसके बाद शुरू होता है उनके परिवार वालों का संघर्ष। स्वयं को निर्दोष साबित करने के लिए जिद्दोजहद के बाद आखिर सच्चाई की जीत होती है। फिल्म इसी ताने-बाने के बीच बुनी गई सच्ची कहानी है। वाहिद शेख की भूमिका रायपुर के रियाज अनवर ने निभाई है। नायिका की भूमिका रुचिरा जाधव ने और मुज्तबा अजीज नाजा ने संगीत दिया है। फोटोग्राफी रोशन राजन मापुस्कर का है और संपादन एचएम ने किया है।
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