रायपुर। छत्तीसगढ़ विधान सभा परिसर स्थित डाॅ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी प्रेक्षागृह में आज झीरम घाटी के शहीदों के परिजनों के सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधान सभा अध्यक्ष डाॅ. चरण दास महंत थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर ने की। इस अवसर पर मान. विधान सभा अध्यक्ष डाॅ. चरण दास महंत एवं मंचासीन अतिथियों ने विपिन त्रिपाठी द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘श्रद्धांजलि: झीरम के वीरों को‘‘ का विमोचन भी किया। इस अवसर पर मान. विधायक अमितेष शुक्ल, पूर्व विधायक गुरूमुख सिंह होरा, राजकमल सिंघानिया, रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष सुभाष धुप्पड़, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राजेन्द्र तिवारी एवं विधान सभा के सचिव दिनेश शर्मा भी उपस्थित थे।
इस भावपूर्ण कार्यक्रम में विधान सभा अध्यक्ष डाॅ. चरणदास महंत ने झीरम घाटी में शहीद हुए स्व. पं. विद्याचरण जी शुक्ल, स्व. प्रफुल्ल शुक्ला, स्व. पवन कुंड्रा, स्व. तरूण देशमुख, स्व. पातृक खलखो, स्व. इमानुएल केरकेट्टा, स्व. अशोक वर्मा, स्व. सियाराम सिंह, स्व. दीपक उपाध्याय, स्व. गोपी वाधवानी एवं स्व. राजेन्द्र चंद्राकर के परिजनों को शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर उन्हें सम्मानित किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मान. विधान सभा अध्यक्ष डाॅ. महंत ने झीरम घाटी के शहीदों को अपनी विनम्र श्रद्वांजलि अर्पित करते हुए कहा कि-यह घटना मानवीय बर्बरता का ऐसा अध्याय है, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। उन्होने कहा कि वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी एवं राजीव गांधी के सपनों में पले लोग हैं। उन्होने इस घटना को स्मरण करते हुए कहा कि वे स्वयं इस यात्रा में सम्मिलित थे लेकिन केन्द्रीय राज्य मंत्री होने के नाते आवश्यक कार्य से उसी दिन पुणे में कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए रवाना हुए थे।
डॉ महंत ने कहा कि- झीरम घाटी के शहीदों के परिजनों का सम्मान करने के साथ-साथ उन्हें सहायता भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए जिससे शहीदों के परिजन एवं परिवारों को न्याय मिल सके। उन्होने कहा कि इस घटना के तह तक जाने की आवश्यकता है। इसके लिए जो भी दोषी है उसका पटाक्षेप किया जाना चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। उन्होंने शहीद पुण्य आत्माओं को प्रणाम करते हुए उनके प्रति अपनी विनम्र एवं भावपूर्ण श्रद्वांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम को रमेश नैय्यर, अमितेष शुक्ला, राजेन्द्र तिवारी, राजकमल सिंघानिया एवं गुरूमुख सिंह होरा ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम के अंत में सुभाष धुप्पड़ ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
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