भाजपा के किसानों से टिफिन पर चर्चा पर कांग्रेस का कटाक्ष
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा के टिफिन पर चर्चा अभियान को राजनैतिक नाटक नौटंकी करार देते हुए कहा है कि कांग्रेस बोरे बासी पर बात करती है। हमारे किसान बोरे बासी खाकर कड़ी धूप में पसीना बहाते हैं और किसानों का शोषण कर उन्हें खुदकुशी के लिए मजबूर करने वाली भाजपा अपने घर का टिफिन खाकर किसान से बात करेगी, इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है। टिफिन पर चर्चा का भी भाजपा के खेत सत्याग्रह और भात पर बात कार्यक्रम की तरह ही होगा। भाजपा के दोनों कार्यक्रम में किसान नहीं आये। भात पर बात कार्यक्रम के लिये बनाये टमाटर की चटनी और भात को भाजपा ने नेता ही खाकर वापस घर आ गये। जब भाजपा सत्ता में थी तब किसानों का शोषण करती थी। 15 सालों तक चुनावी वर्ष में बोनस का वायदा करने के बाद किसानों को ठगने वाली भाजपा ने धान की कीमत 2100 रू. 300 रू. बोनस देने का वायदा करने के बाद मुकर गयी थी। भाजपा के राज में छत्तीसगढ़ में कर्ज से परेशान होकर 15000 किसानों ने आत्महत्या किया था। कांग्रेस सरकार ने किसानों का कर्जा माफ कर दिया। भूपेश बघेल की सरकार किसानों को 2500 रू. धान की कीमत दे रही है। पूरे देश में छत्तीसगढ़ में किसान सबसे ज्यादा खुशहाल है, भाजपा में साहस है तो अपने टिफिन से चर्चा में किसानों को बताये मोदी सरकार किसानों की आय दुगुना करने के लिये अभी तक क्या कर रही है? 2022 का आधा वर्ष बीत गया है आय तो दुगनी नहीं हुयी। देश में किसानों को उनकी उपज के समर्थन मूल्य की गारंटी मोदी सरकार नहीं दे रही है।
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा छत्तीसगढ़ के किसानों द्वारा तैयार जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट का विरोध कर किसानों को इसलिए भ्रमित कर रही है ताकि रासायनिक खाद के उद्योगपतियों से लेकर कारोबारियों तक से चंदाखोरी की जा सके। ये सत्ता में थे तो किसान के हक का पैसा खा गए। जी भरकर भ्रष्टाचार किया। कमीशनखोरी की। जब किसानों ने इन्हें सत्ता से खदेड़कर सड़क पर ला दिया तब भी किसानों को कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार द्वारा दी जा रही सौगात का विरोध करना इनका राजनीतिक धर्म बना हुआ है।
कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा के स्थानीय नेता केंद्र में बैठी मोदी भाजपा सरकार के सामने छत्तीसगढ़ के किसानों के हित में कभी कोई आवाज नहीं उठाते। बल्कि छत्तीसगढ़ के किसानों के हिस्से की खाद पर डाका डलवा रहे हैं। जिन्हें यह मंजूर नहीं है कि किसान को धान का 2500 रुपये मिले, वे आखिर कौन सी शक्ल लेकर किसान के पास जायेंगे। चाय पर चर्चा के दिन लद गए तो अब टिफिन पर चर्चा करेंगे। कभी इस पर भी चर्चा कर लें कि किसानों का 15 साल उत्पीड़न क्यों किया और आज भी केंद्र सरकार के जरिये किसान का अहित क्यों कर रहे हैं।
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