अंतर्राष्ट्रीय जैविक विविधता दिवस पर इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के बच्चों ने फेस पेंटिंग से दिया जैव विविधता संरक्षण का संदेश

अंतर्राष्ट्रीय जैविक विविधता दिवस पर फेस पेंटिंग, फोटोग्राफी, स्लोगन प्रतियोगिता सहित स्कूल के बच्चों के बीच ड्राइंग ऑनलाईन प्रतियोगिता कराई गई ।

समृद्ध जैव विविधता हमारे अस्तित्व का आधार -डॉ. संजय गुप्ता ।

जैव विविधता की रक्षा करना न केवल हमारा कर्तव्य है बल्कि बेहतर भविष्य के लिए भी यह आवश्यक है। समृद्ध जैव विविधता हमारे अस्तित्व का आधार है -डॉ. संजय गुप्ता ।

कोरबा, 23 मई (वेदांत समाचार)। वैज्ञानिकों का मानना है कि मौसम की यह अनिश्चितता और तापमान का उतार-चढ़ाव जैव विविधता के घटने और जलवायु परिवर्तन के कारण है। जलवायु परिवर्तन के कारण एक ही ऋतु में किसी एक जगह पर ही मौसम में उतार-चढ़ाव या परिवर्तन हो सकता है। हमें यह मानना होगा कि जलवायु परिवर्तन की यह समस्या किसी एक शहर, राज्य या देश के सुधरने से हल होने वाली नहीं है। पर्यावरण की कोई ऐसी परिधि नहीं होती है कि एक जगह जैव विविधता के घटने, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन या प्रदूषण होने से उसका प्रभाव दूसरी जगह न पड़े। इसीलिए इस समय संपूर्ण विश्व में पर्यावरण के प्रति चिंता देखी जा रही है। हालांकि इस चिंता में खोखले आदर्शवाद से लिपटे हुए नारे भी शामिल हैं।

जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन पर होने वाले सम्मेलनों में हम सब ऐसे नारे सुनते रहते हैं। सवाल यह है कि क्या खोखले आदर्शवाद से जलवायु परिवर्तन का मुद्दा हल हो सकता है यह सही है कि ऐसे सम्मेलनों के माध्यम से विभिन्न बिंदुओं पर सार्थक चर्चा होती है और कई बार कुछ नई बातें भी निकलकर सामने आती हैं। लेकिन यदि विकसित देश एक ही लीक पर चलते हुए केवल अपने स्वार्थो को तरजीह देने लगें तो जलवायु परिवर्तन पर उनकी बड़ी-बड़ी बातें बेमानी लगने लगती हैं। जैव विविधता घटने के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन पर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर विकसित और विकासशील देशों की आपसी तनातनी के बीच पिछले दिनों हुए एक अध्ययन में पता चला है कि इस दौर में पिछले 11,300 वर्षो के मुकाबले धरती का तापमान सबसे अधिक है। तापमान बढ़ने की यह प्रक्रिया लगातार जारी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि जैव विविधता घटने के कारण पृथ्वी लगातार गर्म हो रही है। धरती का तापमान बढ़ने के कारण ही अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड समेत कनाडा के ग्लेशियरों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इन ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्रों का जलस्तर बढ़ सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस सदी के अंत तक इन ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्रों के जलस्तर में दो सेंटीमीटर की वृद्धि होगी।

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता से हुई चर्चा में उन्होने बतलाया कि जैवविविधता आज भले स्वस्थ दिखाई दे रही है, लेकिन यह सुधार अस्थायी है। औद्योगिक एवं मानवीय गतिविधियां जब पूरी तेजी से शुरू होंगी तो जैव विविधता पर इसका असर पहले की तरह ही पड़ेगा। वास्तविकता तो यही है कि जैव विविधता पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जैव विविधता पर गहराता संकट पर्यावरण के साथ-साथ भाषा और संस्कृति को भी नष्ट कर रहा है । समृद्ध जैव विविधता के बिना हम पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकते हैं। दरअसल विकसित देश समय-समय पर पर्यावरण के मुद्दे पर अपनी कार्यप्रणाली का प्रदर्शन करते हैं। इसी वजह से पर्यावरण के विभिन्न मुद्दों पर कोई स्पष्ट नीति नहीं बन पाती है। दरअसल पर्यावरण की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। हालात यह हैं कि मौसम का समस्त चक्र भी अनियमित हो गया है।

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका की ओर से 22 मई 2022 को अंतरराष्ट्रीय जैविक विविधता दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कर्मचारियों, समुदाय के लोगों व छात्रों के बीच जैव विविधता को संरक्षित करने और उसके महत्व की जानकारी देना है। इस मौके पर कर्मचारियों के बीच जैव विविधता पर फेस पेंटिंग, स्लोगन, निबंध प्रतियोगिता सहित स्कूली बच्चों के बीच ड्राइंग ऑनलाईन प्रतियोगिता कराई गई। इस मौके पर जैव विविधता को संरक्षित करने और उसे बढ़ावा देने के लिए इंडस पब्लिक स्कूल द्वारा लोगों को ऑनलाईन माध्यम से संदेश दिया गया ।

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