World Hypertension Day निहारिका कोरबा में आयोजित विशेष आयुर्वेद-योग चिकित्सा परामर्श एवं उपचार शिविर में 73 मरीज़ हुये लाभान्वित





0 आरामदायक एवं परिश्रमविहीन जीवनशैली हाइपरटेंशन का मुख्य कारण-डॉ.नागेंद्र शर्मा।

0 हाइपरटेंशन से बचाव हेतु जंकफूड एवं पित्तवर्धक आहार से करें परहेज़ -डॉ.नागेंद्र शर्मा।

कोरबा, 17 मई (वेदांत समाचार) 17 मई वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे (विश्व उच्चरक्तचाप दिवस) पर दिनाँक 17 मई 2022 मंगलवार को पतंजलि चिकित्सालय निहारिका कोरबा में आयोजित विशेष आयुर्वेद-योग चिकित्सा परामर्श एवं उपचार शिविर में 73 मरीज़ हुये लाभान्वित। शिविर में विशेष रूप से अपनी चिकित्सकीय सेवायें प्रदान करने वाले छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ वैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया की आरामदायक और परिश्रम विहीन जीवनशैली, जंकफूड व पित्तवर्धक आहार के आदि हो रहे लोगों में उच्चतरक्तचाप एवं मधुमेह की बीमारी बढ़ती जा रही है। उनमे भी बच्चे और युवा वर्ग में भी इस तरह के लाइफ स्टाइल जनित रोगों का बढ़ना चिंता का विषय है। इससे बचाव हेतु जंकफूड एवं अनियमित दिनचर्या से परहेज करना अति आवश्यक है, तभी बच्चे और हमारी युवापीढ़ी इन गंभीर रोगों से बच सकती है। डॉ.नागेंद्र शर्मा ने बताया कि सभी लोग अपनी जीवनशैली में कुछ सकारात्मक परिवर्तन कर इन रोगों से आसानी से बच सकते हैं। जैसे व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में शारिरिक परिश्रम को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। जैसे घर के छोटे मोटे कार्यों को स्वयं करना, सुबह व शाम को पैदल चलना, व्यायाम एवं योग करना, बाइक, कार आदि के स्थान पर सायकिल का प्रयोग करना, पिज्जा, बर्गर, चिप्स, कोल्डड्रिक्स जैसे जंकफूड आदि से दूर रहकर, बच्चों को मोबाईल-कम्प्यूटर में गेम के स्थान पर पारंपरिक शारीरिक खेलकूद के लिए प्रेरित कर, छोटी-छोटी आदतों में परिवर्तन कर इन रोगों से सुरक्षा एवं बचाव किया जा सकता है।

शिविर में ब्लड प्रेशर तथा रक्त शर्करा के स्तर की निशुल्क जांच कर उससे संबंधित परीक्षित औषधि भी निशुल्क प्रदान की गई तथा उच्चरक्तचाप एवं समस्त प्रकार के पित्तज रोगों के लिये उपयोगी शीतसुधा शरबत भी निशुल्क पिलाया गया। शिविर में चिकित्सक डॉ.नागेन्द्र नारायण शर्मा के अलावा श्री शिव औषधालय की संचालिका श्रीमती प्रतिभा शर्मा,योग स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष  प्रमोद अग्रवाल, लायन आभा दुबे, नेत्रनन्दन साहू, अश्वनी बुनकर, कवि रंजन दास, स्वपन गिरी, कमल धारिया, लखन चंद्रा, दामोदर साहू, सिद्धराम शाहनी, राकेश इस्पात, रोशन कुंजल एवं अंकित शर्मा ने विशेष रूप से उपस्थित होकर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।