राजीव कुमार ने रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त का पदभार ग्रहण किया। इससे पहले CEC रहे सुशील चंद्रा का कार्यकाल 14 मई को समाप्त हुआ। 19 फरवरी, 1960 को जन्मे कुमार का कार्यकाल फरवरी 2025 में उनकी आयु 65 वर्ष पूरी होने पर खत्म होगा। कानून के अनुसार निर्वाचन आयुक्त और मुख्य निर्वाचन आयुक्त छह साल के लिए या 65 वर्ष की आयु पूरी होने तक, जो भी पहले हो, पद पर रह सकते हैं।
कुमार के कार्यकाल में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव के अलावा 2024 के लोकसभा चुनाव और कई विधानसभा चुनाव होंगे। कुमार को जब निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था तब वह लोक उद्यम चयन बोर्ड (पीईएसबी) के अध्यक्ष थे। उन्होंने तत्कालीन निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा के इस्तीफे के बाद 1 सितंबर, 2020 को निर्वाचन आयुक्त का पदभार संभाला था।
फरवरी 2020 में IAS के तौर पर रिटायर्ड हुए
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1984 बैच के बिहार/झारखंड कैडर के अधिकारी कुमार फरवरी 2020 में आईएएस के रूप में सेवानिवृत्त हुए। चुनाव आयोग के मुताबिक बीएससी, एलएलबी, पीजीडीएम और एमए पब्लिक पॉलिसी की अकादमिक डिग्री हासिल करने वाले राजीव कुमार के पास भारत सरकार की 36 वर्षों से अधिक की सेवा का अनुभव है। उन्होंने इस दौरान सामाजिक क्षेत्र, पर्यावरण और वन, मानव संसाधन, वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में केंद्र और राज्य के विभिन्न मंत्रालयों में काम किया है।
वित्त सह-सचिव के रूप में किया काम
भारत सरकार के वित्तीय सेवा विभाग के वित्त सह-सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, (सितंबर 2017 – फरवरी 2020), उन्हें बैंकिंग, बीमा और पेंशन सुधारों को देखने का काम जिम्मा दिया गया था। आयोग के मुताबिक, कुमार ने वित्तीय सेवा क्षेत्र का पर्यवेक्षण किया और अन्य बातों के साथ-साथ प्रमुख पहलों/सुधारों को शुरू करने में अहम भूमिका निभाई जैसे: मान्यता, पुनर्पूंजीकरण, संकल्प और सुधार के व्यापक दृष्टिकोण के साथ बैंकिंग सुधार। उन्होंने फर्जी इक्विटी बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली करीब 3.38 लाख शेल कंपनियों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए थे।
[metaslider id="347522"]