छत्तीसगढ़ राज्य में तहसील स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक नेशनल लोक अदालत का किया गया आयोजन

रायपुर,15 मई ( वेदांत समाचार) राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देशानुसार वर्ष 2022 में आयोजित होने वाले नेशनल लोक अदालत के अनुक्रम में माननीय न्यायमूर्ति अरूप कुमार गोस्वामी मुख्य न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं मुख्य संरक्षक छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के मार्गदर्शन एवं न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार दिनांक 14/05/2022 को छत्तीसगढ़ राज्य में तालुका स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाकर राजीनामा योग्य प्रकरणों में पक्षकारों की आपसी सुलह समझौता से निराकृत किये गये हैं। उक्त लोक अदालत में प्रकरणों के पक्षकारों की भौतिक तथा वर्चुअल दोनों ही माध्यमों से उनकी उपस्थिति में निराकृत किये जाने के अतिरिक्त स्पेशल सिंटिंग के माध्यम से भी पेटी ऑफेंस निराकृत किये गये हैं । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ राज्य में भी तहसील स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।


जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर के अध्यक्ष/जिला न्यायाधीश संतोष शर्मा द्वारा जिला रायपुर में नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर एवं नालसा थीम सांग के माध्यम से किया गया। शुभारंभ के समय कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश हेमंत शराफ, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष आशिष सोनी, समस्त न्यायाधीशगण, राजस्व न्यायालय के अधिकारीगण, पक्षकारगण, अधिवक्तागण, न्यायालयीन कर्मचारीगण, उपस्थित रहे।
माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय श्री संतोष शर्मा द्वारा कहा गया कि हमारी प्रतिबद्धता जनता की सेवा न्याय के माध्यम से सुनिश्चित करना है। जिला रायपुर, जिला गरियाबंद, तहसील देवभोग, तिल्दा एवं राजिम में भी एक साथ नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है जिसमें अधिक से अधिक संख्या में प्रकरण निराकृत हो रहे है। इस बार विशेष रूप से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में महिला एवं बाल विकास विभाग से महिलाओं द्वारा तथा दिव्यांगजनों तथा बालिका गृह की किशोरियों द्वारा निर्मित कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगायी गयी। उक्त प्रदर्शनी का उद्देश्य जन जन तक यह संदेश पहुंचाना था कि, महिलाओं को आर्थिक रूप से भी सशक्त करने का हमारा कर्तव्य है। उक्त प्रदर्शनी का शुभारंभ माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय श्री संतोष शर्मा द्वारा रिबन काटकर किया गया। उनके द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर एवं महिला एवं बाल विकास विभाग की सराहना की गयी । कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती शैल ठाकुर, एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी श्री सोमनाथ राजपूत तथा कर्मचारीगण उपस्थित रहे। सर्वप्रथम माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय श्री संतोष शर्मा द्वारा ही कलाकृतियों का क्रय किया गया तत्पश्चात न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण तथा पक्षकारों ने भी क्रय किया ।
नेशनल लोक अदालत के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य जांच परीक्षण शिविर का भी आयोजन किया गया जिसमें न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण, कर्मचारीगण, पक्षकारगण तथा सैंकड़ों संख्या में आमजन का निःशुल्क जांच परीक्षण किया गया। इस अवसर पर राजीनामा करने वाले पक्षकारों को फलदार वृक्ष भी वितरण किया गया।
इस बार के नेशनल लोक अदालत में माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय श्री संतोष शर्मा एवं जिला कलेक्टर श्री सौरभ कुमार के संयुक्त प्रयास से पक्षकारों तथा अधिवक्ताओं के लिए कलेक्टर परिसर में निःशुल्क पार्किंग की व्यवस्था की गयी तथा आने वाले अधिवक्ताओं एवं पक्षकारों से किसी भी प्रकार का कोई पार्किंग शुल्क नहीं लिया गया ।


नगर निगम के सहयोग से साफ सफाई कर पूरे न्यायालय परिसर को स्वच्छ किया गया तथा पानी की भी जगह जगह व्यवस्था की गयी थी । जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं वन विभाग के संयुक्त प्रयास से लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के प्रयास से फलदार वृक्ष का वितरण किया गया ।


सफल कहानी –


प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय श्री हेमंत शराफ की खण्डपीठ ने मासूम बच्ची को उनके माता पिता की गोद में देकर कराया राजीनामा

कुटुब न्यायालय की माननीय हेमंत शराफ सर की कोर्ट में पति पत्नी के मध्य भरण पोषण का मामला चल रहा था आवेदिका अपनी छोटी सी पुत्री के साथ मायके चली गयी थी। पति पत्नी के मध्य छोटी मोटी बातों को लेकर विवाद था। परंतु न्यायाधीश द्वारा उभयपक्ष को उनकी बेटी के भविष्य के बारे में अवगत कराकर और बच्ची को उनकी गोद में देकर राजीनामा कराया और उक्त राजीनामा का यह परिणाम हुआ कि, पति पत्नी माननीय न्यायालय का आर्शिवाद लेकर प्रेम से साथ में घर गए। उक्त खण्डपीठ में भरण पोषण हेतु प्रकरण न्यायालय में पेश किया गया था जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा समझाए जाने पर दोनों पति एवं पत्नी ने आपसी राजीनामा कर हंसी खुशी से अपने घर गए।
इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में आवेदिका का अपने पति के साथ विवाद होने पर वह अपने मायके में निवास करने लगी किंतु आज माननीय न्यायालय के द्वारा समझाईश देने पर दोनों ने आपस में राजीनामा कर हंसी खुशी से अपने घर गए।
दस वर्ष चेक बाउन्स का पुराना मामला हुआ निराकृत ।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री पल्लव रघुवंशी के न्यायालय में चल रहे प्रकरण में प्रार्थी को आरोपी से 95000/-रूपये का लेन देन था जिसके संबंध में दस वर्षो से प्रकरण न्यायालय में लंबित था जो न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के द्वारा समझाए जाने पर प्रार्थी एवं आरोपी ने आपस में राजीनामा कर प्रकरण समाप्त कराकर हंसी खुशी से अपने अपने घर गए ।

पांच वर्ष पुराना मोबाईल चोरी का प्रकरण हुआ समाप्त


न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री ओमप्रकाश साहू के न्यायालय में चल रहे प्रकरण में प्रार्थी का मोबाईल चोरी हो गया था जिसके संबंध में पांच वर्ष से प्रकरण न्यायालय में लंबित था जो न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के द्वारा समझाए जाने पर प्रार्थी एवं आरोपी ने आपस में राजीनामा कर प्रकरण समाप्त कराकर हंसी खुशी से अपने अपने घर गए । न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीमती श्वेता उपाध्याय गौर के न्यायालय में चल रहे प्रकरण में प्रार्थी को आरोपी से 97000/-रूपये का लेन देन था जिसके संबंध में पांच वर्ष से प्रकरण न्यायालय में लंबित था जो न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के द्वारा समझाए जाने पर प्रार्थी एवं आरोपी ने आपस में राजीनामा कर प्रकरण समाप्त कराकर हंसी खुशी से अपने अपने घर गए । स्वाभिमान को लेकर चल रहे मामूली रकम की चेक बाउन्स के मामले को न्यायाधीश द्वारा राजीनामा के माध्यम से निराकरण किया।


न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कु0 आरती ठाकुर के न्यायालय में चल रहे प्रकरण में वादी ने 4810/-रूपये वसूली का वाद पेश किया था जिसके संबंध में पांच वर्ष से प्रकरण न्यायालय में लंबित था जो न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के द्वारा समझाए जाने पर वादी एवं प्रतिवादी नें विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से राजीनामा कर प्रकरण समाप्त कराया । प्रकरण में केवल यह विवाद था कि वादी बार-बार अपने पैसे मागने प्रतिवादी के घर जाता था, परंतु वह उक्त राशि को प्रतिवादी से प्राप्त नहीं कर पा रहा था, तब वादी ने न्यायालय में मामला पेश किया। वादी का यही कहना था कि प्रतिवादी ने उसे अत्यधिक परेशान किया है, तब न्यायालय ने प्रतिवादी को वादी के हुए कष्ट से अवगत कराया और प्रतिवादी ने वादी से जैसे ही माफी मांगी, और मूल राशि पर ही राजीनामा हो गया।
पूत्र की मृत्यु के पश्चात् दुर्घटना राशि प्राप्त करने के लिए परेशान हो रहे पिता को मिला 10,25,000/ का मुआवजा।
चतुथर््ादश अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण श्रीमती विभा पाण्डेय के


खण्डपीठ में आवेदकगण के पुत्र की मोटर दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी जिसे माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री संतोष शर्मा के द्वारा स्वयं प्रकरण में रूचि लेते हुए आवेदकगण एवं बीमा कंपनी के मध्य समझौता कराते हए 10,25,000/-रूपये में राजीनामा कराया।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आकांक्षा ठाकुर की खण्डपीठ में सात वर्ष से चल रहे प्रकरण में पुत्री अपनी मॉ के साथ एवं पुत्र अपने पिता के साथ अलग-अलग रहते थे जिसमें दोनों पति पत्नी के बीच आपसी राजीनामा कर उनके दोनों संतानो के साथ घर गए। स्त्रीधन के दुर्विनियोग के आठ वर्ष पुराने प्रकरण में चंद मिनटो में हुआ राजीनामा ।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी वैभव धृतलहरे की खण्डपीठ में पति द्वारा पत्नी को अपने पिता से शादी के समय प्राप्त स्त्रीधन का अपने लिए बिना अनुमति के उपयोग कर लेने का मामला आठ वर्ष से चल रहा था। लोक अदालत के दिन संबंधित न्यायाधीश द्वारा पति पत्नी को न्यायालय में बुलाया गया और उन दोनों के मध्य बातचीत की । बातचीत में निकलकर आया कि, पति को व्यापार में घाटा होने के कारण कर्ज को चुकाने के लिए पत्नी के आभूषण को बेच दिया। तब न्यायालय ने कहा कि, स्त्रीधन पर पूर्ण अधिकार पत्नी का होता है और उसकी सहमति के बिना उसका कोई भी उपयोग नहीं कर सकता है। न्यायाधीश ने पत्नी को भी समझाया कि, पत्नी का भी कर्तव्य होता है कि, हर सुख-दुख में पति का साथ निभाए। इस पर पति ने पत्नी को पुनः उनके आभूषण तैयार कर प्रदान करे का वचन दिया और इस आधार पर दोनो के मध्य आठ साल पुराना मामला राजीनामा के माध्यम से समाप्त हो गया।
इसी प्रकार भाई-बहन, माता-पिता, भाई-भाई, पड़ोसियों के मामूली झगड़े फसाद के राजीनामा योग्य मामले मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भूपेन्द्र वासनीकर, न्यायाधीश श्रीमती छाया सिंह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गरियाबंद, सुश्री गायत्री साय, श्रीमती किरण पन्ना न्यायिक मजिस्ट्रेट देवभोग, आलोक पाण्डेय न्यायिक मजिस्ट्रेट, अविनाश टोेप्पो न्यायिक मजिस्ट्रेट में राजीनामा कराकर प्रकरण को समाप्त किया।


जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर द्वारा दिव्यांग तथा असहाय लोगों के लिए की व्हील चेयर की व्यवस्था
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीमती निधि शर्मा की खण्डपीठ में चल रहे प्रकरण में वादी ने 550000/-रूपये वसूली का वाद पेश किया था जिसके संबंध में प्रकरण न्यायालय में लंबित था जिसमें पक्षकार पैर में अत्यधिक चोंट होने के कारण न्यायालय में उपस्थित होने में असमर्थ था जिसकी जानकारी संबंधित न्यायालय द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर को दी गयी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निःशुल्क वाहन की व्यवस्था कर तथा न्यायालय तक लाने हंेतु व्हील चेयर उपलब्ध कराकर पक्षकार को न्यायालय में उपस्थित कराया गया उक्त प्रयास से असंभव प्रकरण में न्यायिक मजिस्ट्रेट तथा प्राधिकरण द्वारा प्रयास किए जाने पर राजीनामा हो सका। मोबाईल वैन के माध्यम से 83 साल के बुजुर्ग को घर पहुंचकर मिला न्याय ।


पूर्व की भांति इस बार भी जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय द्वारा लोक अदालत में न्याय को हर द्वार के माध्यम से मोबाईल वैन की व्यवस्था की गयी। उक्त मोबाईल वैन के माघ्यम से 83 साल के बुजुर्ग व्यक्ति को जो न्यायालय आने में अक्षम थे, उन्हें न्याय प्राप्त हुआ । न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीमती श्वेता उपाध्याय की खण्डपीठ में चल रहे चेक बाउन्स के मामले में प्रार्थी अस्वस्थ होने के कारण से न्यायालय आने में असमर्थ था जिसे मोबाईल वेन के माध्यम से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कर्मचारी एवं पैरालीगल वॉलिटियर तथा अधिवक्ता के द्वारा उनके घर जाकर प्रकरण में राजीनामा कर प्रकरण समाप्त कराया। इसके अलावा भी कई प्रकरणों में मोबाईल वैन के माध्यम से राजीनामा किया गया ।
न्यायालय के प्रयास से जेल में निरूद्ध प्रार्थी द्वारा विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से किया राजीनामा न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीमती नेहा यति मिश्रा की खण्डपीठ में विशेष मामला आया जिसमें प्रार्थी किसी अन्य अपराध में जेल में निरूद्ध था । न्यायालय द्वारा राजीनामा हेतु नोटिस जारी किए जाने पर उक्त विषय की जानकारी हुई ।

न्यायाधीश द्वारा तत्काल उक्त मामले का संज्ञान लेकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को उक्त तथ्य की जानकारी दी। प्राधिकरण द्वारा केन्द्रीय जिला जेल रायपुर से समन्वय स्थापित कर प्रार्थी की विडियो कान्फ्रेसिंग न्यायाधीश से सुनिश्चित करायी। न्यायाधीश द्वारा विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रार्थी को समझाया कि, झगड़े का अंत यदि प्रेम से हो, तो जीत हमेशा न्याय की होती है। न्यायाधीश की बात सुनकर प्रार्थी ने मारपीट के दो वर्ष पुराने प्रकरण में राजीनामा किया ।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री अरूण नोरगे के न्यायालय में चल रहे प्रकरण में प्रार्थी का मोबाईल चोरी हो गया था जिसके संबंध में पांच वर्ष से प्रकरण न्यायालय में लंबित था जो न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के द्वारा समझाए जाने पर प्रार्थी एवं आरोपी ने आपस में राजीनामा कर प्रकरण समाप्त कराकर हंसी खुशी से अपने अपने घर गए ।
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अनुतोष अभियान के तहत रायपुर में आयोजित नेशनल लोक अदालत में जनोपयोगी सेवाओं के पचास हजार मामले निराकृत।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित नेशनल लोक अदालत में स्थायी लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी/सभापति मनोज कुमार प्रजापति की खण्डपीठ में जनोपयोगी सेवाओं से संबंधित जैसे जलकर, भवन कर, बैंक सेवाओं, इत्यादि से संबंधित लगभग 50,000 मामलों का एक दिन में निराकरण हुआ ।
रायपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा गठित राजस्व प्रकरणों की खण्डपीठ के पीठासीन अधिकारियों द्वारा भी इस नेशनल लोक अदालत में पुराने आंकड़ो को पार करते हुए नवीन कीर्तिमान स्थापित किया। और संपूर्ण जिले में राजीनामा के माध्यम से बंटवारा, नामांतरण, धारा 145 के मामले एवं अन्य राजस्व मामले लगभग 88849 से भी अधिक निराकृत हुए ।

आंकड़े खबर लिखे जाने तक -

राजस्व न्यायालय एवं नगर निगम में रखे गये प्रकरण – 149072
निराकृत प्रकरण कुल – 139102
न्यायालय में समस्त प्रकार के लंबित प्रकरण – 11064
निराकृत प्रकरण – 7163
नेशनल लोक अदालत में सुनवाई हेतु रखे गए कुल मामले – 160136 , निराकृत मामले 146265 कुल राशि 657173403.

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