पुष्पेन्द्र श्रीवास
रायपुर 12 मई (वेदांत समाचार)। बिरसा मुंडा की धरती पर अवस्थित झारखण्ड की राजधानी रांची व पूर्व भारत की समृध इतिहास और साहित्य की थाती को संरक्षित रखने के लक्ष्य को चरितार्थ करते हुए पी.आई.यू ट्रस्ट गीरीडीह द्वारा आयोजित दो दिवसीय रांची साहित्य महोत्सव पर छत्तीसगढ़ महतारी के सेवा में लगे साहित्य हो सांस्कृतिक हो या सामाजिक मंच अपने स्वरचित रचना,कविता,गीत, लोक गीत,के माध्यम से लुप्त होती संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु प्रयासरत है मनमोहक चर्चित लोक गीत जो गीतकार सुश्री लक्ष्मी करियारे जी है “बेटी मैं दुलउरीन छत्तीसगढ़ महतारी के”,साझा संग्रह ग्लोबल साहित्य पुस्तक में स्थान मिला और अपने लोक परिधान से रांची महोत्सव में लोक गायक सूरज श्रीवास व लोक गायिक सुश्री लक्ष्मी करियारे जी परिचय के मोहताज नही जो अपन मधुर आवाज़ में छत्तीसगढ़ प्रदेश के गौरव गीत “राजगीत “धरती वंदना,छत्तीसगढ़ मोर पावन भुईया,दाई ददा भुईया के भगवान,छेर छेरा गीत,हरेली गीत,जस जवरा सेवा गीत, बीहाव, पंथी गीत,फागुन महीना के फाग गीत संगीत से सराबोर करते है संस्कृति के लिए समर्पण लोक गीतों को जीवंत रखने हेतु सम्मानित हुए रांची महोत्सव आर.के.डी.एफ विश्वविद्यालय,रांची के परिसर में भव्यता के साथ हुआ। रांची लिटरेचर फेस्टिवल के इस महोत्सव में समापन दिवस पर हुसैनाबाद के पूर्व विधायक श्री शिव पूजन मेहता जी,के कर कमलों द्वारा सूरज श्रीवास लक्ष्मी करियारे जी को उनकी सुंदर रचना बेहतरीन प्रस्तुति को मिला लोक गौरव अलंकरण सम्मान प्राप्त हुआ ।
मुख्यतिथी के रूप में शामिल हुए व कुलपति डॉ सुचीतान्शु चटर्जी आर.के.डी.एफ प्रियदर्शीनी,वरिष्ठ पत्रकार सुनील बादल जी ,जंग बहादुर पांडेये जी,कमला बोस जी,एवं अतिथीगण में विशिष्ट अतिथि पी.आई.यू.ट्रस्ट गीरीडीह के उपाध्यक्ष डॉ. रंधीर कुमार ने सुंदर आयोजन की अध्यक्षता किए उपस्थित डॉ रजनी मुन्मुन जी,विपुल नायक जी,चंद्रिका ठाकुर जी राजेश नाज़ुक जी रंजना झा जी,मुनमुन ढाली जी,अंकिता सिंहा जी,विभा वर्मा जी,एवं सभी पदाधिकारीगण सदस्यगण की उपस्थिति कार्यक्रम को सफल बनने में विशेष योगदान रहा।
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