कोरबा। अपराधिक मामलों में जेल की सजा काट रहे महिलाओं के पांच बच्चे भी बंदी की जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जिला जेल के भीतर बिखरते बचपन को संवारने के लिए जिला प्रशासन ने अनुशंसा की है। अब उन्हे खिलौने व शैक्षणिक पुस्तकें भी उपलब्ध कराई जाएगी।
महिला बंदियों के साथ बिना गलती किए जेल की सजा भुगत रहे बच्चों के लिए जिला प्रशासन ने चिंता जताई है। जिला कलेक्टर रानू साहू ने दो माह पहले जिला जेल का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होने महिला बंदी और उनके बच्चों से भी मुलाकात की। बताना होगा कि बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने के लिए प्रशासन की ओर से कार्ययोजना तैयार की गई थी।
जिसके तहत बंदी महिला के बच्चों को चाइल्डलाइन अथवा बाल संरक्षण गृह के माध्यम से बेहतर शिक्षा के लिए संरक्षण देना था। इस दिशा में बच्चों की माताओं से चर्चा भी की गई लेकिन उन्होने बच्चों को अपने साथ रखने का निर्णय लेते हुए बाल संरक्षण गृह भेजने से इंकार कर दिया। जिला प्रशासन से जारी गाइडलाइन के अनुसार अब जेल प्रबंधन ने बच्चों के बचपन को सहेजने का बीड़ा उठाया है। बच्चों के लिए न केवल खिलौनों की खरीदी की जाएगी बल्कि उन्हे उम्र के अनुसार पुस्तकें प्रदान कर पढ़ाई कराई जाएगी।
जिला जेल में निरूद्ध विचाराधीन बंदियों की जिंदगी तंग बैरक में कट रही। जिसका सीधा असर बच्चों के रहन सहन पर पड़ रहा। जिला जेल के लिए यह समस्या नई नहीं है। पांच साल पहले बैरक को तो बढ़ाया गया लेकिन महिला बंदियों के साथ रहने वाले बच्चों की खेल सुविधा के लिए मैदान अथवा उनकी शिक्षा दीक्षा की दिशा में कोई पहल नहीं की गई। बहरहाल देर से सहीं पर अब शिक्षा और बच्चों की बेहतरी की की दिशा में काम होगा, इसकी आस जगी है।
पोषण आहार का भी नहीं प्राविधान
स्कूली बच्चों के लिए जिस तरह से पोषण आहार की सुवधिा दी जाती वह जेल के बच्चों के लिए नहीं हैं। सामान्य बंदियों को दी जाने वाली भोजन भी बच्चों को दी जाती है। यहां तक की गणवेश व निश्शुल्क पुस्तकें बच्चों तक नहीं पहुंच पाती। यही वजह है कि लंबे समय से सजाकाट रहे बच्चों को शिक्षा की दिशा में जोड़ने की पहल की जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग की सरकारी योजना से जोड़ने की संभावना बनी हुई है।
जेल मे बंद बच्चों की शिक्षा व उनके बचपन संवारने की दिशा में जिला प्रशासन की ओर से पहल की गई है। बच्चों को खिलौने व पुस्तकें प्रदान की जाएगी। खेल-खेल में पढ़ाई के लिए उनकी माताओं के माध्यम से प्रेरित किया जाएगा।
विजयानंद सिंह, जेलर जिला जेल
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