रायपुर। कोरोनाकाल में बड़ी संख्या में बेकार पड़े एन-95 मास्क को देखकर आए विचार के बाद एम्स के चिकित्सकों ने इसे संक्रमण मुक्त कर दोबारा उपयोग करने के लायक बना डाला। काफी मेहनत के बाद चिकित्सकों की टीम ने यूवी बॉक्स लुमोस तेज का निर्माण किया।
इस शोध को ‘इंटरनेशनल जर्नल की मदद से प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए स्वयं क ऑफ साइंटिफिक रिसर्च में भी जगह दोबारा अनुसंधान प्रारंभ किया। चार महीनों के उपयोग के प्रयासों के बाद उन्हें इस प्रकार के मास्क एम्स के इंटर्न डॉ. शशि शेखर दुबे की लायक होगा को संक्रमण मुक्त करने में मदद मिली।
पोस्टिंग कोरोनाकाल के दौरान पल्मोनरी विभाग में थी। इस दौरान उन्हें स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर मास्क की वजह से पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव को दूर करने के लिए इसे दोबारा उपयोग करने लायक बनाने का विचार आया। इसके बाद कोविड मरीजों के उपचार की व्यस्तता और लॉकडाउन के बीच उन्होंने कुछ तकनीशियन की मदद से पांच दिनों में छह गुणा तीन गुणा चार फुट का एक यूवी बॉक्स बनाया, जिसे लुमोस तेज का नाम दिया, जो हैरी पार्टर की किताब पर आधारित है। बॉक्स के निर्माण के बाद उन्होंने इसमें ।
इस दौरान उन्होंने एक निर्धारित प्रक्रिया भी चिन्हित की, जिसका पालन करके आधे घंटे के अंदर बड़ी संख्या में एन-95 मास्क को संक्रमण मुक्त किया जा सकता है। इसकी पुष्टि एम्स की वीआरडी लैब ने भी की है।
डॉ. शशि शेखर ने इसका श्रेय डीन. (रिसर्च) प्रो. सरिता अग्रवाल और डॉ. अतुल जिंदल के साथ वीआरडी लैब के अनुसंधानकर्ताओं को भी दिया है। यह अनुसंधान वित्तीय सहायता के लिए प्रदेश की काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी को भी प्रेषित किया है।
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