Power Crisis : देश में पर्याप्त कोयला मौजूद होने के बावजूद क्यों गहरा रहा बिजली संकट? सामने आई वजह

Power Crisis Reason: देश में गर्मी बढ़ने के साथ बिजली (Electricity) की मांग में इजाफा हुआ है. दूसरी तरफ, रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के चलते आयातित कोयला (Coal) महंगा होने के मद्देनजर ईंधन (Fuel) की कमी से कुछ पावर प्लांट्स के प्रोडक्शन पर असर पड़ा है. प्रोडक्शन में कमी के चलते कई राज्यों में बिजली कटौती की जा रही है. इससे औद्योगिक गतिविधियों के साथ आम जनजीवन पर भी असर पड़ रहा है. कोल इंडिया लिमिटेड के पूर्व निदेशक (मार्केटिंग) एसएन प्रसाद ने कहा कि बिजली की मांग बढ़ने और ईंधन के आयात में कमी के कारण ऐसा हो रहा है.

बिजली संकट की तरफ क्यों बढ़ रहा भारत?

एसएन प्रसाद ने कहा कि घरेलू स्तर पर कोयला आपूर्ति बिजली संकट का कारण नहीं है. देश में कोयला उत्पादन और उपभोक्ताओं को इसकी आपूर्ति में लगातार बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 2021-22 में उपभोक्ताओं को 66.3 करोड़ टन कोयले की आपूर्ति की गई थी, जो एक रिकॉर्ड है. बिजली संकट का बड़ा कारण आयातित कोयला और गैस आधारित संयंत्रों में ईंधन की कमी है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर कोयले और अन्य ईंधन के दाम बढ़े हैं. इससे बिजली संयंत्र कोयला आयात करने से बच रहे हैं. घरेलू स्तर पर बात की जाए तो कोयला क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है. कोल इंडिया का उत्पादन वित्त वर्ष 2021-22 में 62.26 करोड़ टन पर पहुंच गया. सिंगरेनी और निजी इस्तेमाल वाली कोयला खदानों का उत्पादन भी बढ़ा है.

भीषण गर्मी के कारण हो रही ये समस्या

उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा बिजली संकट का एक कारण पारा चढ़ने से बिजली की मांग का अचानक बढ़ना भी है. इसका एक कारण गर्मी के साथ-साथ हर घर में बिजली पहुंचना भी है. साथ ही आज एसी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का इस्तेमाल भी काफी बढ़ा है. इसके अलावा, बिजली वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति खराब होने से भी आपूर्ति प्रभावित हुई है. गर्मी से हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्लांट्स में भी समस्या होती है. कोल इंडिया के पास अब भी करीब 6 करोड़ टन कोयला है. सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड के पास 4 करोड़ टन से ज्यादा कोयला भंडार होने का अनुमान है.

बिजली कंपनियों पर है भारी बकाया

एसएन प्रसाद ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर लेवल पर समस्या है. मालगाड़ी और सवारी ट्रेन एक ही पटरी पर चलेंगी तो समस्या होना स्वाभाविक है. मालगाड़ियों में भी कोयले के अलावा अन्य सामान को भी जाना है. ऐसे में सरकार प्राथमिकता तय करती है कि जरूरत क्या है. हालांकि, मालगाड़ियों के लिए अलग गलियारे के निर्माण का काम तेजी से जारी है. इसके पूरी तरह से चालू होने से समस्या दूर होगी. कोयला उत्पादक कंपनियों का बिजली कंपनियों पर बकाया भी एक समस्या है. कोल इंडिया का लगभग 12,000 करोड़ रुपये बिजली उत्पादक कंपनियों पर बकाया है. वहीं, बिजली उत्पादक कंपनियां कहती हैं कि वितरण कंपनियां पैसा नहीं दे रही हैं, हम कहां से दें.

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