उत्तराखंड: तैयारी का जायजा लेने केदारनाथ पहुंचे सीएम पुष्कर सिंह धामी, बोले- ऐतिहासिक होगी यात्रा 

उत्तराखंड में केदारनाथ यात्रा की तैयारी जोरशोर से चल रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद इस ऐतिहासिक यात्रा की तैयारी पर नजर बनाए हुए हैं। सीएम धामी ने कहा कि बर्फबारी के बाद अब केदारनाथ में विकास कार्य फिर से शुरू होने का समय है और यह सुचारू रूप से हो, इसके लिए मैं वहां जा रहा हूं। हमने यात्रा की तैयारी कर ली है और बुकिंग की संख्या को देखते हुए कहा जा सकता है कि यात्रा ऐतिहासिक होगी।

यात्रा को लेकर प्रशासन विभागीय अधिकारियों के साथ करेंगे चर्चा


सीएम धामी केदारनाथ पहुंचकर पुनर्निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करेंगे। साथ ही आगामी 6 मई से शुरू होने वाली केदारनाथ यात्रा को लेकर भी प्रशासन विभागीय अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धपीठ कालीमठ पहुंचकर आराध्य मां काली के दर्शन भी करेंगे। जिला कार्यालय रुद्रप्रयाग से मिली जानकारी के अनुसार, सीएम धामी सुबह 8.30 बजे केदारनाथ पहुंचेंगे। यहां वह, पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लेंगे। साथ ही प्रशासन व कार्यदायी संस्थाओं से भी चल रहे कार्यों की जानकारी लेंगे। इसके बाद सीएम केदारनाथ से कालीमठ के लिए रवाना होंगे। कोटमा से सड़क मार्ग के रास्ते कालीमठ मंदिर में पहुंचेंगे। जहां पर पूजा-अर्चना व दर्शन के उपरांत 11.15 बजे देहरादून के लिए प्रस्थान करेंगे।

यात्रियों की न हो परेशानी


जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने केदारनाथ यात्रा को अपनी विशेष प्राथमिकता बताते हुए कहा कि यात्रियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो, वह स्वयं यात्रा मार्ग का निरीक्षण करेंगे। यात्रियों के दबाव को केदारनाथ धाम में कैसे कम किया जाए, इसके लिए संतुलित कार्ययोजना बनाई जाएगी। पत्रकार वार्ता में जिलाधिकारी ने कहा कि केदारनाथ यात्रा के लिए सिरोहबगड़ से नगरासू और रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड तक हाईवे को चाक-चौबंद किया जाएगा।

दोनों राजमार्ग पर जहां-जहां डेंजर जोन और संभावित जाम स्थल चिह्नित हैं, उन पर विशेष नजर रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों को गुणवत्ता के साथ समय पर पूरा कराया जाएगा। जिले में ऑलवेदर रोड परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना सहित अन्य विकास कार्यों को पारदर्शिता के साथ गति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत पहचान के बजाय हमें जनपद की पहचान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

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