सोशल मीडिया पर मिले, साइन लैंग्वेज से परवान चढ़ा प्यार; मध्य प्रदेश में एक-दूजे के हुए मूकबधिर 

कहते हैं इश्क की कोई जुबान नहीं होती। एक ऐसी ही प्रेम कहानी सामने आई है मध्य प्रदेश के खरगोन से। एक ऐसी प्रेम कहानी जिसमें जुबान तो नहीं पर एहसास खूब हैं। यह कहानी है एक मूक-बधिर जोड़े की। इनकी मुलाकात सोशल मीडिया पर हुई। इशारों में बात हुई, प्यार का इजहार हुआ और फिर दोनों ने प्यार को मुकम्मल अंजाम तक पहुंचा दिया।

ऐसे हुई शुरुआत 


खरगोन से सटे ग्राम टिबगांव का रहने वाला सुनील यादव जन्म से ही मूकबधिर है।सोशल मीडिया पर लगभग एक साल पहले सुनील की दोस्ती सुनीता यादव से हुई। सुनीता भी सुनील की तरह मूकबधिर है। दोनों की दोस्ती प्यार में बदली और फिर दोनों ने इसे शादी में बदलने का फैसला ले लिया। दोनों एक-दूसरे से वीडियो चैटिंग के जरिए साइन लैंग्वेज में बात करते थे। जब परिवारों के सामने खबर पहुंची तो वहां भी शादी को रजामंदी मिल गई। सुनील अपने परिवार के साथ बारात लेकर शुक्रवार की रात सुनीता के घर इंदौर पहुंच गया। दोनों ने सात फेरे लिए और सुनीता दुल्हन बन खरगोन आ गई। 

परिवार के लोग हैं खुश


सुनील के पिता कैलाश यादव ने बताया कि उनका बेटा जन्म से ही बोलने में असमर्थ था। सुनील के भविष्य को लेकर वे हमेशा चिंतित रहते थे। लेकिन यह ईश्वर की मर्जी और संयोग ही है की सुनील विवाह के पवित्र बंधन में बंध गया। सुनील और सुनीता मिडिल क्लास तक पढ़े हैं। सुनील खेती करता है, जबकि सुनीता इंदौर में रहती है। इसके बावजूद सुनीता ने उसे जीवन साथी चुना है। विवाह को लेकर दोनों ही परिवारों में खुशी का माहौल है। 

क्या है साइन लैंग्वेज


मूकबधिर बच्चों को शिक्षा देने वाली आस्था ग्राम ट्रस्ट की मैनेजर डॉ. अनुराधा बताती हैं कि साइन लैंग्वेज मूकबधिरों की अपनी भाषा है। साइन लैंग्वेज के जरिए सांकेतिक भाषा के रूप में संदेशों को व्यक्त किया जाता है। इसमें विजुअल एक्शन का उपयोग होता है। साइन लैंग्वेज हाथों के इशारों तक ही सीमित नहीं है । चेहरे के भाव और शरीर की गति और इशारे भी इनमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।