महासमुंद । कलेक्टर ने आदेश जारी कर जिला अधिकारियों से कहा है कि ‘अक्षय तृतीया’ के अवसर पर बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता फैलाई जाए। कलेक्टर ने कहा कि बाल विवाह के बारे में परिवारों से बातचीत करके उन्हें समझाया जाए तथा स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की सूची तैयार की जाए। ‘अक्षय तृतीया’ के मौके पर कई ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में कुछ समुदायों में बाल विवाह का चलन है। कलेक्टर ने जिला अधिकारियों को लिखे एक पत्र में कहा कि ‘अक्षय तृतीया’ के मौके पर कई ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में कुछ समुदायों में बाल विवाह का चलन है।
उन्होंने जिला अधिकारियों को लिखे एक पत्र में कहा है कि कई खबरों से पता चलता है कि बाल विवाह होते हैं। पता चलने पर अधिकारी मौक़े पर पहुँच कर माता-पिता सगे संबंधी आदि को समझाकर विवाह रुकवाते भी है। उन्होंने कहा कि विवाह की रोकथाम हेतु कार्ययोजना बनायी है। उसके मुताबिक़ इस बुराई को रोकने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘आपको अवगत होना चाहिए कि बाल विवाह निषेध कानून, 2006 की धारा 13 (4) में प्रावधान है कि अक्षय तृतीया जैसे किसी मौके पर सामूहिक बाल विवाह के आयोजन को लेकर जिला अधिकारी को बाल विवाह निषेध अधिकारी माना जाएगा।’’
उन्होंने जिला अधिकारियों से कहा है कि वे गांव, नगर/वार्ड, जिला, तहसील स्तर पर जागरुकत कार्यक्रम चलाएं तथा स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की सूची बनाएं तथा ऐसे बच्चों की शिनाख्त करें जो बाल विवाह का शिकार हो सकते हैं।
अक्षय तृतीया’ पर गाँव में बाल विवाह के मामलें सामने आते है। यह एक गम्भीर सामाजिक बुराई है समाज में इस कुप्रथा का स्वरूप बहुत ही भयावह है। सामान्य रूप से प्रचलित वैवाहिक कार्यक्रमों के साथ-साथ शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों में 3 मई को अक्षय तृतीया के अवसर पर अन्य वैवाहिक कार्यक्रम भी शुरू हो जाएंगे, किसी भी स्थिति में बाल विवाह न हो, यह प्रशासन के द्वारा सामुदायिक सहयोग से ही संभव है जिसके लिए कई तैयारियां की गई है।
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