आजकल लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का सही ढंग से ख्याल नहीं रख पा रहे हैं, जिसकी वजह से समय से पहले व्यक्ति कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इस बीच छत्तीसगढ़ से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। राज्य के लोगों में विटामिन-डी की कमी बढ़ रही है। इससे लोगों की नींद कम हुई है, जिससे थकान, कमजोरी, हड्डियों-मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द की शिकायतें आम हो रही हैं। यही नहीं, शरीर में अचानक सूजन तथा इम्यूनिटी कम होने का खतरा भी बढ़ने लगा है।
यह बात सामने आई है बिलासपुर के मेडिकल कालेज अस्पताल सिम्स के बड़े रिसर्च में, जिसमें बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर, रायगढ़ और कोरबा समेत दर्जनभर जिलों के 2000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया।
इनके ब्लड तथा अन्य सैंपल की जांच में खुलासा हुआ कि प्रदेश में 21 से 40 साल के 47.2 प्रतिशत युवा विटामिन-डी की कमी से जूझ रहे हैं, यानी 100 में 47 युवाओं के अंदर यह कमी है। 41.3% युवा ऐसे हैं, जिनमें विटामिन-डी जरूरत से कम पाया गया है। 33.9% में ही विटामिन-डी पर्याप्त पाया गया है। हालांकि इसकी तुलना में 41 से 60 वर्ष के लोगों में विटामिन-डी की कमी युवाओं से कम (32.7 प्रतिशत) ही है और इस आयु वर्ग के 36% लोगों में विटामिन-डी पर्याप्त नहीं है। सिम्स की रिसर्च में यह बात भी सामने आई कि 61 से 80 साल के वृद्धों में विटामिन-डी की स्थिति ठीक है।
इस वर्ग के 8.4% लोगों में ही विटामिन-डी की कमी निकली, तो 12.3% के अंदर विटामिन-डी की मात्रा अपर्याप्त थी। इसी तरह, 5 से 20 साल तक के बच्चों में भी विटामिन-डी बेहतर मात्रा में निकला। 11.8% बच्चों में विटामिन-डी की कमी मिली, तो 9.6 प्रतिशत में पर्याप्त विटामिन-डी नहीं है। 5.7% में ही पर्याप्त विटामिन-डी पाया गया। 80 साल के ऊपर के बुजुर्गों में विटामिन-डी पर्याप्त है। एक प्रतिशत बुजुर्ग ही इस कमी से जूझ रहे हैं। एक्सपर्ट की मानें तो यह कमी ज्यादा समय घर में रहने, प्रदूषण, जंक फूड खाने और पौष्टिक आहार ना मिलने से हो रही है।
महिलाओं में 17% ज्यादा :
रिसर्च में यह भी बताया गया कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में विटामिन-डी की कमी के मामले ज्यादा हैं। 26.8 प्रतिशत पुरुषों के अंदर यह कमी देखी गई, 43.9% महिलाएं इस कमी से जूझ रही हैं। पुरुषों की तुलना में 17.1% महिलाओं में विटामिन-डी की कमी ज्यादा है। 32.8% पुरुषों में अपर्याप्त विटामिन-डी पाया गया। 30.9 महिलाओं में विटामिन-डी पर्याप्त नहीं है।
जैव रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रशांत निगम के मुताबिक अधिकतर लोग शाकाहारी हैं। ज्यादातर खाद्य पदार्थ गर्म आंच पर काफी देर तक या बार-बार पकाया जाता है। इससे विटामिन व अन्य पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। हालांकि विटामिन-डी लगभग 200 डिग्री सेल्सियस के ताप तक नष्ट नहीं होता है, फिर भी दूध को बार-बार उबालने से यह नष्ट हो जाता है।
विटामिन-डी कम होने से तकलीफ :
अक्सर कमजोरी और थकान, कैल्शियम की कमीं
हड्डियों, मांसपेशियों, जोड़ों में और पीठ में दर्द
शरीर में सूजन, जलन, इंफेक्शन का खतरा ज्यादा।डिप्रेशन, निराशा या ऐंग्जाइटी महसूस होना। बालों का झड़ना, त्वचा और इम्यूनिटी की कमीं
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