साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL)खदान में ई.आक्शन के माध्यम से कोयला खरीदने वाले कोल एजेंट परेशान

कोरबा, 09 अप्रैल (वेदांत समाचार)। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के कोरबा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली मानिकपुर खदान में ई.आक्शन के माध्यम से कोयला खरीदने वाले कोल एजेंट अरसे से परेशान है। कोल उठाव में हो रही लेटलतीफी के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। मानिकपुर खदान में प्रदर्शन कर उन्होंने प्रबंधन से मांग की है, कि या तो उनके डीओ का समय बढ़ाया जाए या फिर कोयले के उठाव में तेजी लाए। इस मसले को लेकर एस ई सी एल की मानिकपुर कोल परियोजना में काम करने वाले कोल एजेंटो ने खदान के भीतर जमकर प्रदर्शन किया।

ई.आक्शन के माध्यम से खरीदे गए कोयले का समय पर उठाव नही हो रहा है। उठाव नहीं होने की स्थिति में इनकी मुश्किलें बढ़ गई है। कोल एजेंटो का कहना है, कि जहां एक दिन में 1800 टन कोयले का उठाव होना चाहिए वहां केवल 400 टन कोयले का ही उठाव हो पा रहा है। निश्चित अवधी के भीतर अगर उनके कोयले का उठाव नहीं हो पाया तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।पता चला है कि दीपिका गेवरा और कुसमुंडा खदानों में होने वाले ई-ऑक्शन के कोयले का निश्चित मात्रा में नियमित रूप से उठाव हो रहा है कोल ट्रांसपोर्टरों के मुताबिक मानिकपुर खदान प्रबंधन द्वारा सिर्फ पावर सेक्टर को कोयला देने का हवाला देते हुए ई-ऑकशन के कोयले के डिस्पैच को कम कर दिया है।

जानकारी के अनुसार ई ऑक्शन होने के बाद दर्जन भर से अधिक कॉल ट्रांसपोर्टरों का कोयला स्टॉक में जाम है। ई. ऑक्शन के बाद कोयला उठाओ के लिए 45 दिन का समय मिलता है। जिसमे से 30 दिन बीत चुके हैं। सिर्फ 15 दिन ही शेष हैं। दूसरी तरफ खदान प्रबंधन द्वारा काफी कम मात्रा में कोयला डिस्पैच के ऑर्डर मिले हैं। ऐसे में ऑक्शन का कोयला लेप्स होने का खतरा भी बढ़ गया है। यही वजह है कि लंबे समय से कोयले का काम कर रहे एजेंटों ने आंदोलन का रुख अख्तियार कर लिया है। देखना होगा कि कोयला एजेंटों के इस आंदोलन का प्रबंधन पर क्या असर पड़ता है।

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