RBI Monetary Policy: आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022 23 की पहली द्विमासिक कर्ज नीति की समीक्षा का ऐलान कर दिया है जिसमें ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. आरबीआई गवर्नर ने मंत्री पॉलिसी की घोषणा करते हुए कहा कि रेपो रेट को 4 फीसदी पर बरकरार रखा गया है इसका अर्थ यह हुआ कि बढ़ती महंगाई के मद्देनजर ब्याज दर महंगे होने की जो संभावना जताई जा रही थी उसपर फिलहाल विराम लग गया है. जो लोग बैंक से कर्ज ले चुके हैं उनकी ईएमआई फिलहाल महंगी नहीं होने जा रही और जो लोग होमलोन या कोरलोन लेने की सोच रहे हैं उन्हें सस्ते कर्ज का फायदा फिलहाल मिलता रहेगा.
फिलहाल सस्ता रहेगा कर्ज
प्रॉपर्टी डेवलपर्स भले ही घरों की कीमतों में इजाफा कर रहे हों, ऑटोमोबाइल कंपनियां भले ही कार के दाम बढ़ा रही हों एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन भले ही एजुकेशन फीस बना रही हों लेकिन आरबीआई के ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने के फैसले से होम लोन, कार लोन या एजुकेशन लोन फिलहाल महंगा नहीं होने जा रहा है.
बढ़ती महंगाई बनी चिंता का सबब
हालांकि ये स्थिति कितने दिनों तक जारी रहती है इसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं क्योंकि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए 2022-23 के लिए 5.7 फीसदी महंगाई दर रहने का अनुमान जताया है जो कि 2021-22 में 4.5 फीसदी था. हालांकि फिलहाल खुदरा महंगाई दर आरबीआई के अनुमान के कहीं ज्यादा 6 फीसदी के ज्यादा है. महंगे कमोडिटी के दामों के चलते महंगाई में तेजी आने की संभावना है.
आने वाले दिनों में कर्ज हो सकता है महंगा
आरबीआई गवर्नर ने साफ तौर पर कहा है कि अब सेंट्रल बैंक की प्राथमिकता महंगाई पर नकेल कसने की है. इसका अर्थ यह हुआ कि बढ़ती महंगाई के मद्देनजर आरबीआई आने वाले दिनों में कर्ज को महंगा कर सकता है माना जा रहा है कि अगली कर्ज नीति का जब आरबीआई घोषणा करेगी तो उसमें ब्याज दरों में बदलाव हो और कर्ज महंगा भी हो सकता है. इसके संकेत इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बैंक लगातार डिपॉजिट्स पर ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं लेकिन कर्ज पर नहीं. लेकिन बचत पर ब्याज दरें बढ़ने का मतलब है कि कर्ज के भी आने वाले दिनों में महंगा होना तय है.
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