उत्तराखंड : गंगोलीहाट में मिली अद्भुत गुफा, महाकालेश्वर हुआ नामकरण

उत्तराखंड में गुफाओं वाली घाटी गंगोलीहाट में प्रसिद्ध सिद्धपीठ हाटकालिका मंदिर से लगभग एक किमी दूर आठ तल वाली विशाल गुफा मिली है. गुफा के भीतर चट्टानों में विभिन्न पौराणिक चित्र उभरे हैं. शिवलिंग पर चट्टान की तरफ से पानी भी गिर रहा है. इस गुफा को चार स्थानीय युवाओं ने खोजा है. गुफा को महाकालेश्वर नाम दिया है. माना जा रहा है कि यह गुफा प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा से भी बड़ी हो सकती है.

गंगोलीहाट के गंगावली वंडर्स ग्रुप के सुरेंद्र स‍िंंह बिष्ट, ऋषभ रावल, भूपेश पंत और पप्पू रावल ने गुफा में प्रवेश किया तो वे दंग रह गए. चारों गुफा में दो सौ मीटर भीतर तक पहुंचे. सुरेंद्र के मुताबिक प्रवेश करते ही पहले करीब 35 फीट गहराई में उतरे. फिर प्राकृतिक रूप से बनी करीब आठ फीट की सीढ़ियां मिलीं. आगे बढ़ने पर इसी तरह आठ तल तक सीढ़ी और समतल भाग से होकर आगे बढ़े. इसमें नौवां तल भी था, लेकिन वे वहां नहीं पहुंच सके. ये गुफा करीब 200 मीटर लंबी है.

इस क्षेत्र में अब तक 10 से अधिक गुफाएं मिल चुकी हैं. गंगावली क्षेत्र के शैल पर्वत शिखर पर मानस खंड में 21 गुफाओं का जिक्र है. जिसमें दस गुफाओं का पता चल चुका है. सिद्धपीठ हाट कालिका मंदिर के आसपास रविवार को मिली गुफा के अलावा तीन अन्य गुफाएं होने के संकेत भी मिल चुके हैं. अब तक अस्तित्व में आई गुफाएं पाताल भुवनेश्वर, कोटेश्वर, भोलेश्वर, महेश्वर, लाटेश्वर, मुक्तेश्वर, सप्तेश्वर, डाणेश्वर, भुगतुंग हैं.

गुफा को नाम दिया महाकालेश्वर

गुफा खोजने वाले युवाओं ने इस गुफा को महाकालेश्वर नाम दिया है. स्थानीय जनता इसे प्रमुख आस्था का केंद्र मान रही है. सुरेंद्र की सूचना पर कुमाऊं विवि के पूर्व भूगर्भवेत्ता डा. वीएस कोटलिया ने भी गुफा का निरीक्षण करने के लिए आने की बात कही है.


एक साल पहले हुआ था प्रयास

गुफा की मौजूदगी के बारे में करीब एक साल पूर्व गंगोलीहाट के युवा दीपक रावल को जानकारी मिली थी. वह इस गुफा के संकरे प्रवेश द्वार से अंदर गए, परंतु संसाधन नहीं होने से प्रयास सफल नहीं हो सका. प्रभारी क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई, अल्मोड़ा डा. चंद्र सिंह चौहान ने बताया कि पिथौरागढ़ में हाटकालिका मंदिर के समीप पाताल भुवनेश्वर गुफा की तरह ही नई गुफा खोजे जाने की सूचना मिली है. विभागीय टीम मौके पर जाएगी. जिसके बाद इस पर शोध शुरू किया जाएगा.