जबलपुर, 3 अप्रैल (वेदांत समाचार) प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट ने मारपीट के आरोपित कुंडम निवासी चम्मा सिंह गौंड का दोष सिद्ध होने पर न्यायालय उठने तक की सजा सुना दी। साथ ही एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अभियोजन की ओर से सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी जमना प्रसाद धुर्वे ने पक्ष रखा।
उन्हाेंने दलील दी कि फरियादी मजदूरी का कार्य करती है। आठ अप्रैल, 2015 को प्रात: सात बजे वह अपनी सास गिरानी बाई के साथ जंगल में महुआ बीनने गई थी। वह महुआ का पेड़ किसी के नाम नहीं है। इसके बावजूद आरोपित वहां आया और महुआ बीनने पर सवाल करने लगा। उसने गाली-गलौच शुरू कर दी। यही नहीं मारपीट भी कर दी। यह देखकर फरियादी का पति मान सिंह आया और किसी तरह बचा कर ले गया। बाद में मामले की शिकायत कुंडम थाने में की गई। अदालत ने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद दोष सिद्ध पाकर सजा सुना दी।
हाई कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत के आदेश का पालन करने के दिए निर्देश : हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने एक याचिका निरस्त करते हुए अधीनस्थ अदालत द्वारा पूर्व में पारित आदेश का पालन किए जाने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान अनावेदिका कटनी निवासी लक्ष्मी अग्रवाल की ओर से अधिवक्ता शंकर प्रसाद सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि लक्ष्मी अग्रवाल ने दयाराम के खिलाफ कटनी की अदालत में व्यवहारवाद दायर किया था। जिस पर सुनवाई के बाद लक्ष्मी अग्रवाल के हक में आदेश पारित हुआ। दयाराम ने उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी। हाई कोर्ट ने स्थगनादेश के साथ 45 दिन के भीतर डिक्री की राशि जमा करने के निर्देश दिए।
लेकिन राशि जमा नहीं की गई। इस पर स्थगनादेश समाप्त करने की मांग की गई। हाई कोर्ट ने यह मांग मंजूर कर ली। इस तरह लक्ष्मी अग्रवाल को राहत मिल गई। अब वे अदालत द्वारा पारित डिक्री का निष्पादन करवाकर कब्जा हासिल कर सकेंगी।