0 क्षतिग्रस्त रैंप-सड़क का जायजा भी लिया और नवरात्र पूर्व मरम्मत का आश्वासन भी दिया
कोरबा,27 मार्च (वेदांत समाचार)। जिला कलेक्टर रानू साहू शनिवार की शाम अचानक चैतुरगढ़ पहुंच गई और पैदल ही रैंप सड़क की चढ़ाई करते हुए माता के दरबार पहुंचकर पूजा-अर्चना की और साल के लिए अखंड ज्योति कलश की स्थापना करवाई। उन्होंने क्षतिग्रस्त रैंप-सड़क का जायजा भी लिया और नवरात्र पूर्व मरम्मत का आश्वासन भी दिया। कलेक्टर ने पाली शिव मंदिर पहुंच कर भी भगवान भोलेनाथ के दर्शन पूजन किए।
चैतुरगढ़ में रैंप मार्ग क्षतिग्रस्त होने की श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आगामी चैत्र बासंती नवरात्रि पर्व को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। इस दौरान माता के दरबार में नवरात्र में नौ दिन तक पूजा अनुष्ठान होंगे, पर मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित नहीं किए जाएंगे। जिले के धार्मिक पर्यटन स्थल चैतुरगढ़ स्थित आदिशक्ति मां महिषासुर मर्दिनी देवी का दरबार इस बार भी नवरात्र में सूना रहेगा। गत वर्ष 17-18 सितंबर को हुई तेज बारिश की वजह से माता के दरबार तक पहुंचने वाले रैंप सड़क समेत अन्य विकास कार्यों को काफी नुकसान पहुंचा था।
रैंप की स्थिति खतरनाक हो गई है और कई जगह भूस्खलन भी हुआ है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं भक्तों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए इस मार्ग पर आवाजाही पर पहले ही रोक लगा दी है, क्योंकि रैंप, सड़क, पहाड़ पर जगह-जगह दरारें है। इसी वजह से अब आगामी दो अप्रैल से आरंभ हो रहे चैत्र बासंती नवरात्र पर्व को धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ नहीं मनाने का निर्णय लिया है। इस बार मंदिर परिसर में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित नहीं होंगे। केवल मंदिर के गर्भ गृह में एक अखंड ज्योति के साथ दो और ज्योति कलश तथा कलश भवन में पांच ज्योति कलश प्रज्वलित करने का निर्णय लिया गया है। माता के दरबार में नौ दिनों तक नियमित रूप से पूजा, हवन अनुष्ठान विधि विधान से होंगे।
इस निर्णय से माता के भक्तों में पुनः मायूसी छा गई है। रैंप और सड़क के क्षतिग्रस्त होने के छह माह बाद भी मरम्मत नहीं हो सका है। स्थानीय वन अधिकारी की ओर से इसके लिए एक कार्ययोजना का प्रस्ताव प्रशासन को भेजा गया, पर अब तक स्वीकृत नहीं हुआ है। वहीं पुरातत्व विभाग की एनओसी नहीं मिलने की बात भी कही जा रही है। यदि प्रशासन गंभीरता और सक्रियता दिखाता या जनप्रतिनिधि इसके लिए ठोस पहल और प्रयास करते तो शायद यह कार्य अब तक पूर्ण हो गया होता। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद माता के भक्त, श्रद्धालु और पर्यटक जान जोखिम में डालकर बेखौफ होकर माता के दर्शन को पहुंच रहे हैं और अपने मां कामना की पूर्ति कर रहे हैं।
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