अंबिकापुर 27 मार्च (वेदांत समाचार) सूरजपुर जिले में भूजल स्तर न सिर्फ नीचे जा रहा है बल्कि यहां भू जल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। भूजल के अंधाधुंध दोहन और लगातार बोर खनन से यह स्थिति निर्मित हो रही है। यह जानकारी केंद्रीय भूमि जल बोर्ड उत्तर मध्य क्षेत्र के सर्वे में सामने आई है।अब बोर्ड द्वारा जिले के लोगों के साथ जन संवाद कर भूजल स्तर को बरकरार रखने वर्षा जल संचयन पर जोर दिया जा रहा है ताकि लोग जागरूक हो सके।इसी कड़ी में शासकीय महाविद्यालय सिलफिली में कार्यक्रम का आयोजन कर केंद्रीय भू जल बोर्ड के विज्ञानियों ने विद्यार्थियों को जागरूक करने का प्रयास किया।
शासकीय महाविद्यालय सिलफिली में केंद्रीय भूमि जल बोर्ड उत्तर मध्य क्षेत्र तथा महाविद्यालय की आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के द्वारा भूजल संरक्षण के संबंध में जन-संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुकेश आनंद विज्ञानी छत्तीसगढ़ जल बोर्ड रायपुर द्वारा विषय की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। महाविद्यालय के प्राचार्य तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ रामकुमार मिश्र के द्वारा जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने छात्र छात्राओं को जल संरक्षण के उपायों को जानने तथा समाज को इससे अवगत कराने की आवश्यकता बताई।
उन्होंने बताया कि कुछ दशक पूर्व यह कल्पनातीत था कि पानी बिक भी सकता है पर परंतु आज शुद्ध पानी का अभाव गांव-गांव तक में देखा जा रहा हैं। उद्देश्य कुमार विज्ञानी छत्तीसगढ़ जल बोर्ड रायपुर ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि आजादी के 75वें वर्ष के अमृत महोत्सव में केंद्र सरकार द्वारा भूजल संबंधी सार्वजनिक जन-संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ताकि देशभर में गांव-गांव तक जल बोर्ड की पहुंच बढ़े तथा वहां की स्थानीय जल संबंधी समस्या के आधार पर उसका त्वरित समाधान किया जा सके। इसके अतिरिक्त जल संरक्षण तथा उसके उपयोग के संबंध में लोगों को जागरूक किया जा सके। उन्होंने बताया कि दुनिया में कोई भी उपयोग की वस्तु नहीं है, जिसमें जल का उपयोग नहीं किया जाता है।
हर वस्तु के निर्माण की प्रक्रिया में पानी का निश्चित रूप से उपयोग होता है। हमें जीवन में पानी का उपयोग अत्यंत सावधानी से करना चाहिए, ताकि पानी का स्तर तथा उसकी गुणवत्ता ठीक बनी रहे। मुख्य वक्ता डॉ अजय कुमार सिन्हा वरिष्ठ विज्ञानी छत्तीसगढ़ जल बोर्ड रायपुर ने भूजल की जांच के तकनीकी पक्ष की ओर प्रकाश डालते हुए बताया कि जल बोर्ड पूरे देश में जल के स्तर की जांच करता है साथ ही साथ यह पता लगाता है कि कौन सा पानी पीने योग्य है और कौन सा प्रदूषित। उन्होंने यहाँ के स्थानीय स्तर के जल की स्थिति पर बताया कि सूरजपुर क्षेत्र में भी जल स्तर तेजी से घट रहा है, इसीलिए जो बोरवेल खोदे जाते हैं वे बहुत जल्दी सूख जाते हैं, कई बार तो पानी ही नहीं निकलता।
मुकेश आनंद ने पावर प्वाइंट वे प्रेजेंटेशन के माध्यम से सूरजपुर के सभी विकासखंडों का सर्वे प्रस्तुत किया तथा बतलाया कि 2017 में सूरजपुर के सभी विकासखंडों का जल पीने योग्य तथा सुरक्षित था जिसकी गुणवत्ता में 2022 तक लगातार गिरावट आ रही है। सूरजपुर को उन्होंने सेमी क्रिटिकल जोन में आ जाने की बात कही।तीनों विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देकर उनकी समस्याओं का समाधान किया। महाविद्यालय के प्राध्यापक संदीप सोनी ने स्थानीय ग्राम पहाड़गाँव में पानी की समस्या की और केंद्रीय जल बोर्ड का ध्यान आकर्षित किया, जिस पर उन्होंने यथाशीघ्र उसका सर्वे कराकर वहां की समस्या के समाधान का आश्वासन दिया।
तीनों वैज्ञानिकों द्वारा एक बेहद आवश्यक परंतु चर्चा से बाहर रहे विषय पर जन संवाद का आयोजन किए जाने पर महाविद्यालय परिवार की ओर से प्राध्यापक अमित सिंह बनाफर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर वरिष्ठ प्राध्यापक बृजकिशोर त्रिपाठी, अजय कुमार तिवारी, डॉ प्रेमलता एक्का, शालिनी शांता कुजूर, अंजना, भारत लाल कंवर, आशीष कौशिक, संदीप सोनी, बिरेंद्र सिन्हा, ताराचंद साहू, अशोक राजवाड़े, सुनीता गुप्ता तथा महाविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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