जांजगीर 23 मार्च (वेदांत समाचार) स्थित मड़वा पावर प्लांट में हुए उपद्रव के बाद दर्ज FIR को लेकर हाईकोर्ट ने शासन को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इस मामले में दर्ज 5 अलग-अलग FIR को संविधान के अनुच्छेद-21 का उल्लंघन बताते हुए सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। पुलिस ने प्लांट में हुए उपद्रव को लेकर 500 लोगों पर FIR दर्ज की थी। इसमें से 19 लोग करीब 80 दिन से जेल में हैं, जबकि बाकी पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है।
दरअसल, पूरे मामले में प्लांट के भूविस्थापितों ने अधिवक्ता सुमित सिंह के माध्यम से याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सुमित सिंह ने दलील दी कि भूमि अधिग्रहण के बावजूद स्थाई नौकरी नहीं देने को लेकर प्लांट के बाहर प्रदर्शन किया जा रहा था। इस दौरान कानून-व्यवस्था बिगड़ गई थी। इस घटना के लिए विभिन्न धाराओं के तहत 5 अलग-अलग अपराध जांजगीर थाने में दर्ज किए गए हैं।
एक घटनाक्रम के लिए 5 मुकदमों का सामना न्यायोचित नहीं
अधिवक्ता सुमित सिंह ने कहा कि इसके अनुसार याचिकाकर्ताओं को पुलिस 5- बार गिरफ्तारी, जांच और ट्रायल करना चाहती है। यह असंवैधानिक है। जबकि घटनाक्रम एक ही है। इसलिए याचिकाकर्ताओं को अलग-अलग और व्यक्तिगत रूप से 5 मुकदमों का सामना करने के लिए मजबूर करना न्यायोचित नही है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने कहा- एक ही FIR पर जांच करें
हाईकोर्ट ने शासन को दिए नोटिस में पूछा है कि आपको किन परिस्थितियों में 5 FIR दर्ज करनी पड़ी। किन परिस्थितियों में आपको यह जानकारी हुई है कि घटना स्थल पर 500 लोग मौजूद थे, उससे कम या ज्यादा नहीं। जस्टिस गौतम भादुड़ी ने याचिका पर सुनवाई करते हुए भूविस्थापितों के पक्ष में फैसला सुनाया और उन्हें स्टे दिया है। यह भी कहा है कि अन्य एफआईआर को छोड़ कर अपराध क्रमांक 5 में ही जांच किया जाना उचित है।
वहां खड़े वाहनों में आग लगा दी थी।
बातचीत से पहले ही भड़की उपद्रव की आग
आंदोलनकारियों ने 1 जनवरी से प्लांट के सामने प्रदर्शन शुरू किया था। प्रदर्शन में महिलाएं भी शामिल हैं। इस बीच रविवार को प्रशासनिक अधिकारी और आंदोलनकारियों के बीच में बातचीत होनी थी। पहले राउंड की बातचीत हुई भी थी, पर विफल रही। इसके बाद शाम 5 बजे से सीनियर अधिकारियों के साथ आंदोलनकारियों की बातचीत होनी थी। आंदोलनकारियों का 10 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल अंदर भी जा चुका था। इससे पहले ही बवाल हो गया।
प्लांट के लिए 2008 में जमीन अधिग्रहण शुरू हुआ। 2015-16 से यहां एक हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू हो गया है। उस दौरान मड़वा, तेंदूभांठा के लोगों को वादा किया गया था कि उन्हें यहां नौकरी दी जाएगी। जिसके बाद बहुत से लोगों को काम पर भी रखा गया। करीब 400 लोग ऐसे थे, जिन्हें संविदा नियुक्ति दी गई और उन्हें अलग-अलग जिलों में नियुक्ति दी गई। कई ऐसे भी ग्रामीण हैं, जिनका कहना है कि उनकी जमीन ले ली गई, लेकिन नौकरी नहीं दी गई। नौकरी देने और स्थायी करने की मांग को लेकर ग्रामीण 6 दिसंबर से जांजगीर के कचहरी चौक में प्रदर्शन कर रहे थे।
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