धमतरी 22 मार्च (वेदांत समाचार)। । ग्रामीण क्षेत्रों में महिला समूहों की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने और स्वरोजगार के जरिए आत्मनिर्भर होना महिला स्वसहायता समूहों का बड़ा प्रमाण है। घर की चार दिवारी बंधन तोड़कर महिलाएं सामूहिक तौर पर आजीविका की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है। यह कहानी है धमतरी विकासखंड के ग्राम पंचायत सारंगपुरी की सुराजी गांव योजना के माध्यम से भी ग्रामीण जनजीवन में बदलाव आया है। ग्राम सारंगपुरी जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी में स्थित है।
शासन की महती योजना छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी ने आजीविका के स्वरूप को बरकरार रखने के लिए महिलाओं ने आर्थिक उन्नति के रास्ते पर चलना शुरू किया। आमदनी होते ही समूह की 12 महिला सदस्यों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रियंका ऋषि महोबिया ने बताया कि-गौठान में शेड का निर्माण कर महिला समूहों को उत्पाद से जोड़कर आर्थिक उन्नति की ओर लगातार प्रेरित किया जा रहा है। उत्पाद की सारी जवाबदारी जय बूढ़ादेव महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रही है। समूहों के आय को सशक्त बनाते हुए विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। इस तरह योजना का लाभ समूह से जुड़ी अन्य ग्रामीण महिला समूह को मिल रही है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत एवं गौण खनिज मद से मशरूम शेड निर्माण कार्य, बटेर शेड निर्माण कार्य, मुर्गी शेड निर्माण कार्य और स्वसहायता समूहों के लिए आजीविका संवर्धन के लिए बकरी शेड निर्माण कार्य किया गया है। उक्त गतिविधियों का संचालन जय बूढ़ादेव महिला स्वसहायता समूह से की जा रही है। समूह से मशरूम उत्पादन से विगत तीन माह में 12 हजार रूपये, मुर्गी पालन से 20800 रूपये और बटेर पालन से 12 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त हुई है। आमदनी में वृद्धि होने से महिलाओं का झुकाव व्यवसाय के प्रति दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।
व्यवसाय का यह भी सुखद पहलू है। अब ग्रामीण महिलाएं योजना का लाभ लेकर आत्मनिर्भर बनते जा रहे हैं। पहले यही समूह की महिलाएं कृषि कार्य पर निर्भर हुआ करती थी। व्यवसाय का गुर सिखने के बाद समृद्धि की राह में अन्य समूहों के लिए प्रेरणा बनी हुई है। महिलाओं के हौसले को देखकर गांव के पुरूष भी इन कार्यों में महिलाओं को प्रेरित करते हुए हौसला आफजाई कर रहे हैं, जाहिर है इस सफलता के कारण इस उपक्रम में आसपास के गांव की महिलाएं जुड़ना चाहती है।
जय बूढ़ादेव महिला स्वसहायता समूह की अध्यक्ष सविता नेताम ने बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत एवं गौण खनिज मद से अधोसंरचना के कार्य होने से महिलाओं को आजीविका संवर्धन के कार्य करने में सहुलियत हो रही है। उत्पाद से आर्थिक समृद्धि आयी है और महिलाएं अपने निजी कार्य के अलावा परिवारिक विकास कार्यों में भी अपनी भागीदारी निभा रही है। निर्मित शेड में उत्पाद के लिए व्यवसाय का रूप दिया जाये तो दूसरे गांव की महिलाएं भी प्रेरित होकर स्वावलंबी बनना चाह रही है।
[metaslider id="347522"]