महिला टीम का कमाल, 189 गंभीर कुपोषित बच्चों को निकाल चुकी हैं बाहर 

दुर्ग। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन के एनआरसी के पांच सदस्यीय स्टाफ ने अब तक 189 गंभीर कुपोषित बच्चों को कुपोषण के दायरे से बाहर ला दिया है। इस अवधि में बेड आक्यूपेंसी 71 प्रतिशत से अधिक रही है। 2 अक्टूबर 2019 से इस केंद्र का संचालन आरंभ हुआ था। इस संबंध में जानकारी देते हुए बीएमओ पाटन डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि एनआरसी में पांच महिलाओं का स्टाफ है जो बच्चों के पोषण का पूरा ध्यान रख रहा है।

अच्छी बात यह है कि गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे कुपोषण के दायरे से बाहर तो आ ही रहे हैं। यहां हुई काउंसिलिंग के चलते इनकी माताएं इनका इतनी बेहतर तरीके से ध्यान रख रही हैं कि ये पुनः कुपोषण के दायरे में नहीं आ रहे हैं। एनआरसी टीम में स्टाफ नर्स विधि गौतम ने बताया कि हमारा पूरा ध्यान इस बात पर रहता है कि माता जो कुपोषित बच्चे के साथ आई है, उसे भर्ती रहने की अवधि के दौरान सही समय में पोषाहार देने का महत्व समझा दें।

यह समझ आ जाने से बच्चे का पोषण आसान हो जाता है। स्टाफ नर्स छाया देवांगन ने बताया कि हम लोग एडमिशन के समय और जाने के समय की तस्वीरें रख लेते हैं। इससे अंतर स्पष्ट हो जाता है कि किस तरह से पोषाहार बच्चों पर असर करता है। ऐसे में जो गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की माँ आती हैं, वे बच्चे के साथ यहां रहने के लिए तैयार हो जाती है। डाक्यूमेंटेंशन अच्छा रहता है तो इसका असर बहुत अच्छा होता है। बच्चों  के लिए चुन्नी खान, अरूणा मंडलेश, अमृता मरकाम खाना तैयार करती हैं। उन्होंने बताया कि एनआरसी में काम करना बहुत अच्छा लगता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ऐसी महिलाओं को नमन है जो आने वाली पीढ़ी के भविष्य को संवार रही हैं।

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