भूपेश का छत्तीसगढ़ी मॉडल और पीएम मोदी…

त्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री तथा उत्तर प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस की कमान सम्हालनेवाली कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांघी के साथ ही अपनी टीम के साथ पूरा उप्र मथने वाले भूपेश बघेल अंतिम चरण के मतदान के पहले छ्ग वापस लौट गये हैं। वैसे उप्र में चुनावी मुकाबला सपा – भाजपा के बीच ही होगा ऐसा लगता है पर चुनाव परिणाम कभी-कभी अप्रत्याशित भी आते रहते हैं। वैसे कांग्रेस के पास उप्र में खोने कुछ नहीं है पर पाने सारा आकाश है। धर्म, जाति, राष्ट्रवाद आदि की बात करनेवाली केंद्र सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी को चुनाव में धान का समर्थन मूल्य घोषित करने पर विचार करने की घोषणा करनी पड़ी, वहीं खुले घूमने वाले जानवर ( पहले गाय हमारी माता है ) से फसल को नुकसान न हो इसके लिए भी कदम उठाने की बात करनी पड़ी… इसका कारण छ्ग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की 2500₹में धान खरीदी (केंद्र के दबाव पर राजीव गांघी न्याय योजना ), रोका छेका (गोठान का निर्माण, गोबर खरीदी, गोधन योजना )को छ्ग की तरह उप्र में भी लागू करने की बात करना ही तो रहा है….!

गुजरात मॉडल, उप्र मॉडल की जगह देश के सबसे बड़े सूबे में भूपेश के “छत्तीसगढ़ी मॉडल” को उप्र की आम जनता, खास कर किसानों द्वारा स्वीकारना भूपेश की टीम की मेहनत का परिणाम ही कहा जा सकता है। सवाल कांग्रेस की सरकार बनने, नहीं बनने का नहीं है.. पिछले बार की तुलना में इस 400 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैँ, महिलाओं को सबसे अधिक मौका कांग्रेस ने दिया है। संगठन तो मजबूत हुआ जिसका लाभ देर सबेर निश्चित ही कांग्रेस को मिलेगा यह तय है। वैसे भूपेश बघेल की मानें तो बनारस (लोकसभा पीएम मोदी की लोकसभा )में कांग्रेस का खाता खुल सकता है यदि ऐसा भी हुआ तो बड़ी उपलब्धि भूपेश के नाम दर्ज होगी… खैर

“देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश की राजनीति की अहम् भूमिका है। क्योंकि सबसे अधिक लोकसभा और विधानसभा की सीटें इसी प्रदेश में है। इसलिये केन्द्र की सरकार यानि दिल्ली का रास्ता उप्र से ही जाता है। इसलिये प्रदेश में  जब भी विधानसभा के चुनाव हुये है। तब ही पूरे देश के नेताओं का आना-जाना  रहा है। इस बार के प्रदेश के चुनाव में सपा और भाजपा के बीच चुनाव को कांटे की टक्कर बताया गया हैा वहीं बसपा को कई विधानसभा सीटों पर महत्वपूर्ण व निर्णायक भूमिका में बताया गया है। सियासत में संभावना बनी रहती है। जब तक परिणाम घोषित न हो जाये। सो अभी तो सभी दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे है। लेकिन इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि किसी दल के सहयोग के बिना भी किसी दल की सरकार न बने।फिलहाल चुनाव परिणाम का यानि 10 मार्च का इंतजार करना होगा।