जगदलपुर। शक्तिपीठ दंतेवाड़ा में ऐतिहासिक फाल्गुन मेला 9 मार्च से 19 मार्च तक मनाया जाएगा। इस मेले में मां दंतेश्वरी की टोली के साथ फाग गायन मंडली प्रथम बार खास पोशाक में गायी जाएगी।
इस आयोजन में रोजाना रश्में की अदायगी होगी और बस्तर से आमंत्रित देवी-देवता भाग लेंगे। माता की प्रथम पालकी और कलश स्थापना 9 मार्च बुधवार को होगी। प्रतिदिन पालकी 16 मार्च को मेला मंडई का भव्य आयोजन होगा। 17 मार्च को होलिका दहन कार्यक्रम उसके बाद 18 मार्च को रंगभंग पादुका पूजन के बाद 19 मार्च को सभी देवी-देवताओं की बिदाई होगी। इस वर्ष विधायक देवकी कर्मा और कलेक्टर दंतेवाड़ा इस आयोजन का निर्देशन कर रहे है। इस आयोजन में बस्तर महाराजा कमलचंद भंजदेव विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।
माता सती का दांत यहां गिरा था
केंद्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार माता सती का दांत यहां गिरा था इसलिए यह स्थल पहले दंतेवला और अब दंतेवाड़ा के नाम से चर्चित है। डंकिनी और शंखिनी नदी के संगम पर स्थित इस मंदिर का जीर्णोद्धार पहली बार वारंगल से आए पाण्डव अर्जुन कुल के राजाओं ने करीब 700 साल पहले करवाया था। 1883 तक यहां नर बलि होती रही है। 1932-33 में दंतेश्वरी मंदिर का दूसरी बार जीर्णोद्धार तत्कालीन बस्तर महारानी प्रफुल्ल कुमारी देवी ने कराया था। अब यह मंदिर केंद्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में है। नदी किनारे नलयुग से लेकर छिंदक नाग वंशीय काल की दर्जनों मूर्तियां बिखरी पड़ी है।
बस्तर राज परिवार की कुल देवी
मां दंतेश्वरी को बस्तर राज परिवार (DANTEWADA NEWS) की कुल देवी माना जाता है, लेकिन अब वह समूचे बस्तरवासियों की अधिष्ठात्री है। प्रतिवर्ष वासंती और शारदीय नवरात्रि के मौके पर हजारों मनोकामनाएं ज्योति कलश प्रज्जवलित होते है। 50 हजार से ज्यादा भक्त पदयात्रा कर शक्तिपीठ पहुंचते है। दंतेश्वरी मंदिर प्रदेश का एक मात्र ऐसा स्थल है। जिसमें हजारों आदिवासी शामिल होते है। नदी किनारे आठ भैरव भाईयों का आवास माना जाता है इसलिए यह स्थल तांत्रिको को भी साधना स्थली है।
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