0 कहा- केएन कॉलेज के प्रांगण से मेरे राजनीतिक सफर को मिला बल, शिक्षा-उच्च शिक्षा में सुविधाएं लाने कई आंदोलन किए
कोरबा. स्कूल प्रेसिडेंट के बाद अनेक आंदोलनों से होते हुए मैं कमला नेहरू महाविद्यालय पहुंचा और इसी प्रांगण में आकर मेरा झुकाव राजनीति की ओर बढ़ा. इसके बाद 1996 में मुझे कोरबा शहर का अध्यक्ष बनाया गया. वर्ष 1998 में पहली बार चुनाव लड़ा पर सफलता नहीं मिली. दस साल तक संघर्ष किया और वर्ष 2008 में जब कोरबा विधानसभा क्षेत्र बना.फिर टिकट मिली तो पहली बार विधायक बना. तब से लेकर अब तक तीन बार का विधायक और इस बार कांग्रेस की सरकार लौटी, जिसमें इन गुरुजनों और क्षेत्र की जनता के सहयोग से मंत्री बनने का अवसर मिला.
यह बातें प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कमला नेहरू महाविद्यालय में आयोजित उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्राध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहीं. केएन कॉलेज में गुरुवार को मंत्री श्री अग्रवाल ने नवनिर्मित रूसा भवन एवं 100 कंप्यूटर सिस्टम से सुसज्जित जिले के सबसे बड़े कंप्यूटर लैब का उद्घाटन किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कॉलेज के किसी भी निर्माण में, किसी भी प्रकार के विकास कार्य में मेरा सहयोग हमेशा रहेगा. विधायक फंड से उन्हें एक साल में डेढ़ करोड़ मिलते हैं, उस फंड में अगर कॉलेज के लिए कुछ बेहतर किया जाना संभव हो, तो मैं सहर्ष तैयार हूं. वर्ष 1980 की बात है, जब हम हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ रहे थे, मैं उस स्कूल का प्रेसिडेंट चुना गया.उसी समय अविभाजित मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बहुमत के साथ आई व अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री बने. उस वक्त कमला नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य पं. दीनानाथ पांडेय व प्राध्यापकों, शिक्षकों से चर्चा होती थी कि शहर में एक शासकीय कॉलेज की जरूरत है. कुछ का विचार था कि एक नया शासकीय कॉलेज बने. जब पहली बार सीएम अर्जुन सिंह का कोरबा आगमन तय हुआ तो एक दिन पहले मैं रिक्शे में सवार होकर पूरे शहर में निकला. माइक पर मैंने पूरे कोरबा में कहता गया कि कल कोरबा बंद रहेगा और सीएम को काला झंडा दिखाएंगे. उस वक्त यहां पदस्थ तहसीलदार व दरोगा खोजते हुए आए और पुराना बस स्टैंड में चर्चा की. तब मैंने उनसे कहा कि कोरबा में सीएम स्टेट ट्रांसपोर्ट डिपो का शिलान्यास करेंगे. हम चाहते हैं कि उसके साथ ही यहां शासकीय कॉलेज का भी शिलान्यास करें. जब इस बात की खबर शासन तक पहुंची तो रात को पौने 12 खोजते हुए अधिकारी फिर मेरे पास पहुंचे और कहा कि अब आपको घूमने की जरूरत नहीं है. आपकी बात मान ली गई है और कल सीएम कॉलेज की भी आधारशिला रखेंगे. मंचस्थ अतिथियों में प्रमुख रूप से नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद, सभापति श्यामसुंदर सोनी, वार्ड पार्षद सुरेंद्र प्रताप जायसवाल, विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित कमला नेहरू महाविद्यालय की संस्थापक दानदाता सदस्य श्रीमती निर्मला सिंह, चांपा नरेश विभेंद्र बहादुर सिंह, महाविद्यालय समिति के अध्यक्ष डॉ आरएन पांडेय, उपाध्यक्ष लोकेश्वर सिंह तोमर, सचिव अशोक शर्मा, सहसचिव सुरेंद्र लाम्बा, मनीष शर्मा, उमेश लाम्बा, किशोर शर्मा, डॉ. आरसी पांडेय, ज्योति चंद्रा, रमेश जायसवाल समेत अन्य उपस्थित रहे. स्वागत उद्बोधन प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर ने दिया. कॉलेज के कार्यों का प्रतिवेदन समिति के अध्यक्ष डॉ. आरएन पांडेय ने दिया. सचिव अशोक शर्मा ने भी अपनी बात रखी. मंच संचालन प्राध्यापक बृजेश तिवारी ने किया व आभार प्रदर्शन अनिल राठौर ने किया.
किया भवन-भूमि का दान, निर्मला जी को शत-शत प्रणाम
मंत्री श्री अग्रवाल ने बताया कि आज कॉलेज की स्थिति बहुत बेहतर है. शिक्षा-उच्च शिक्षा के मौजूदा सुविधाओं और संसाधनों के लिए हमें दशकों तक काफी संघर्ष करना पड़ा और कई आंदोलन व लड़ाइयां लड़नी पड़ी. रूसा का यह भवन भी वर्ष 2013 में केंद्र की यूपीए सरकार की ओर से स्वीकृत योजना का परिणाम है, जिसे मूर्त रूप लेने नौ साल लग गए. उन्होंने मंच पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित कमला नेहरू महाविद्यालय की संस्थापक दानदाता सदस्य श्रीमती निर्मला सिंह का हाथ जोड़कर प्रणाम किया और आभार जताते हुए कहा कि उस दौर में जब कोरबा के युवाओं को उच्च शिक्षा में सबसे ज्यादा जरूरत थी, उन्होंने यह भवन व भूमि दान कर एक महान कार्य किया, जिसके लिए कोरबा की जनता सदैव उनकी ऋणी रहेगा।
वोरा जी के कान छूकर उड़ा चमगादड़, तब मिला पीजी, विधि के लिए रोकनी पड़ी ट्रेन
मंत्री श्री अग्रवाल ने लगभग चार दशक पहले की एक बात साझा करते हुए कहा कि जब स्कूल पास किया, तो दोस्तों के साथ कमला नेहरू महाविद्यालय में दाखिला लिया. उस समय मोतीलाल वोरा उच्च शिक्षा मंत्री थे. वे कोरबा आए तो हम कुछ साथियों के साथ उनसे मिलने पहुंचे और कहा कि आप हमारे कॉलेज चलिए. उन्होंने पूछा कौन सा कॉलेज, तो हमने कहा कमला नेहरू महाविद्यालय. वोरा बोले की वह हमारा कॉलेज नहीं. उन्होंने इंकार कर दिया. वे रात को 11 बजे हटरी के पास हम सभी बैठे हुए थे वहां वे रुके और कहा चलो बेटा. रानी महल में कॉलेज लगता था, वहां किसी तरह रात को कॉलेज खुलवाया और मोमबत्ती लेकर भवन में गए. लकड़ी सीढ़ियों से ऊपर गए, जहां चमगादड् उड़ रहे थे, जिनमें से एक उड़कर वोराजी के कान से टकराते हुए निकला. हमने कहा एक कमरा और है, देख लीजिए. तो उन्होंने कहा कि एमए मिल गया. इसी तरह विधि महाविद्यालय के लिए भी ट्रेन रोकनी पड़ी, तब जाकर मांग पूरी हुई.
स्टाफ को एक वर्ष के लिए पांच प्रतिशत महंगाई भत्ता, रिटायर कर्मियों को 20-20 हजार का उपहार
महाविद्यालय के समस्त शैक्षणिक व अशैक्षणिक कर्मियों के लिए उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में जो महंगाई से प्रभावित हुए, उन्हें एक वर्ष के लिए पांच प्रतिशत महंगाई भत्ता प्रदान करने की घोषणा की. कार्यक्रम के दौरान मंत्री श्री अग्रवाल ने कॉलेज के चार सेवानिवृत्त कर्मियों रामाधार पटेल, भीखमलाल कैवर्त्य, घनाराम यादव, रामलाल पटेल को शॉल व श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया. उनके लिए भी उन्होंने एक सौगात देते हुए कहा कि उन चारों सेवानिवृत्त कर्मियों को अपने स्वेच्छा अनुदान से 20-20 हजार रुपये प्रदान करने की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि इस महाविद्यालय के लिए शासन से स्वीकृति के योग्य जो भी कार्य होंगे, उनकी मंजूरी के लिए हर संभव प्रयास करने का आश्वासन भी उन्होंने दिया है. कॉलेज के शासकीयकरण की बात पर श्री अग्रवाल ने कहा कि यह मुख्यमंत्री की सहमति के बिना यह संभव नहीं है, पर फिर भी समिति की ओर से विस्तृत विवरण उपलब्ध कराएं, मैं उस पर प्रस्ताव बनाकर उन्हें प्रेषित करूंगा और स्वीकृति का भरसक प्रयास करूंगा.
लाइब्रेरी सांइस व पीजीडीसीए में सीट वृद्धिश्री अग्रवाल ने किया संभव
स्वागत उद्बोधन देते हुए कमला नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर ने कहा कि हमारे ऊर्जावान मंत्री जयसिंह अग्रवाल जिले के लिए कार्य करने को वे हमेशा तत्पर रहते हैं. संभवत: उन्हें ध्यान नहीं होगा कि उन्होंने इस संस्था के लिए एक बहुत बड़ा कार्य किया था. मास्टर आॅफ लाइब्रेरी साइंस की कक्षाएं जब शुरू होनी थी, तो हमारे वार्ड पार्षद सुरेंद्र प्रताप जायसवाल से मैंने चर्चा की थी. उन्होंने मंत्री श्री अग्रवाल के लेटर पैड से एक पत्र अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर को एक पत्र भेजा था. मास्टर आॅफ लाइब्रेरी साइंस व पीजीडीसीए की सीट वृद्धि की स्वीकृति मिलना उसी पत्र का सुखद परिणाम है, जो इस महाविद्यालय को मंत्री श्री अग्रवाल की पहल से संभव हुआ. आने वाले समय में शासन से एमएसडब्ल्यू व जूलॉजी में सीट वृद्धि की मांग की है, जो अवश्य पूर्ण होगी.
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